शिवमंगल सिंह सुमन

उन्मुक्त गगन का पंछी वो,

सबका प्रिय सुमन मतवाला।

उम्दा अध्यापक कुशल प्रशासक,

प्रखर चिंतक सुविचारों वाला।।


5 अगस्त 1915 को जन्मे,

सामूहिक चेतना के संरक्षक।

हिन्दी कविता के हस्ताक्षर,

करे टिप्पणी निर्भीक रचनात्मक।।


हिन्दी साहित्य के कवि मशहूर,

जन्म स्थान उन्नाव झगरपुर।

की सहायता क्रांतिकारियों की,

बने मिसाल निर्भीकता की।।


आँखों में पट्टी बाँधे जब,

आजाद के सम्मुख आये।

रिवाल्वर ले जाऊँगा दिल्ली,

कहकर प्रस्ताव स्वीकारे।।


'वरदान माँगूँगा नहीं' कविता से

दृढ़ कर्तव्यपरायणता को दर्शाया।

'मिट्टी की महिमा' को गाकर,

वसुन्धरा को शीश नवाया।।


'रणभेरी' से बजाई दुंदुभी,

पराधीनता को किया अस्वीकार।

केसरिया पहने बाना,

कलम को बनाया हथियार।।


'जिस जिससे पथ में स्नेह मिला' 

मनुष्यता की ज्योति जलाये।

लग जाए सम्मानों की झड़ी,

जब सुमन कलम उठाये।।


रचयिता

ज्योति विश्वकर्मा,

सहायक अध्यापिका,

पूर्व माध्यमिक विद्यालय जारी भाग 1,

विकास क्षेत्र-बड़ोखर खुर्द,

जनपद-बाँदा।

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