मेजर ध्यानचंद

भारत का रहा राष्ट्रीय खेल हॉकी,

स्वर्णिम युग रहा है खेल हॉकी।

प्रशिक्षण के अभाव में भी पनपा है यह खेल,

मेजर ध्यानचंद ने प्रसिद्धि दिलाई खेल हॉकी।।


29 अगस्त 1905 को जन्मा यह सितारा,

खेलों में समर्पित था जीवन सारा।

1922 में सेना में हुई शामिल,

एम्स्टर्डम में स्वर्ण पदक जीता अनेक टीमों को हरा।।


1936 में बर्लिन में किया भारत का नेतृत्व,

हिटलर के सामने किया टीम को पराजित।

हिटलर का प्रलोभन भी डिगा ना सका मन,

फौज और हॉकी में रहा जीवन समर्पित।।


खेल दिवस के रूप में उनका जन्मदिन मनाते,

दद्दा के नाम से खिलाड़ियों के सरताज बताते।

1956 में पद्म भूषण का पाया सम्मान,

खेल जगत में नाम की महिमा हैं गाते।।


3 दिसंबर 1979 में जग से किया किनारा,

झाँसी का स्टेडियम" मेजर ध्यानचंद स्टेडियम" हुआ प्यारा।

भाई ने भी किया फिर इनका अनुसरण,

हॉकी का अस्त हो गया था चमकता सितारा।।


रचयिता
नम्रता श्रीवास्तव,
प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय बड़ेह स्योढ़ा,
विकास खण्ड-महुआ,
जनपद-बाँदा।

Comments

Total Pageviews

1164091