मैथिलीशरण गुप्त
प्यारे बच्चों! आज के दिन ही,
चमका था एक सितारा।
साहित्य जगत का वो दद्दा,
जो बना राष्ट्रकवि प्यारा।।
भारत-भारती से देश प्रेम का,
जन-जन में संचार किया।
जयद्रथ वध में कवि का,
क्रांतिकारी रूप दिखा।।
प्रेरणा बने महावीर प्रसाद,
खड़ी बोली को माध्यम बनाए।
1954 में भारत सरकार से,
पद्मभूषण अलंकरण पाए।।
साकेत में उर्मिला की,
व्यथा का चित्रण किया।
आदिदैविक रूप राम का,
सुन्दरता से उद्धृत किया।।
यशोधरा विष्णुप्रिया भी,
पति वियुक्ता विरहणी।
विरह पीड़ा में तपती नारी,
कुन्दन सी उज्जवल वर्णी।।
प्रकृति अनुराग का मनोहारी चित्रण,
मानस पटल पर छाया।
पंचवटी खण्ड काव्य जब,
साहित्य जगत में आया।।
कवि राजनेता नाटककार,
और बेहतरीन अनुवादक।
12 दिसंबर 1964 को,
हुआ था यह सूर्य अस्त।।
साहित्य वाचस्पति पदम भूषण,
मैथिलीशरण गुप्त को याद करें।
मनाएंँ आज कवि दिवस,
नमन बारम्बार करें।।
रचयिता
ज्योति विश्वकर्मा,
सहायक अध्यापिका,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय जारी भाग 1,
विकास क्षेत्र-बड़ोखर खुर्द,
जनपद-बाँदा।
Comments
Post a Comment