तीज का त्योहार
सावन की आई है बहार
आया तीज का त्योहार।
रिमझिम बदरा बरसे
बागों में पड़ गए झूले
आओ सखी झूला झूलें
और अंबर को छू लें।
प्रीत की फुहार से सराबोर
अपना तन मन भिगो लें
संगीत का नया तार छेड़ें
ऐसे ही अपना जीवन जी लें।
कर लूँ मैं सोलह श्रृंगार
हाथों में मेहंदी रचा कर
पाँव में महावर लगाकर
कलाइयों में चूड़ियाँ पहनकर।
अपने पिया के लिए मैं सज जाऊँ
उनकी दीर्घायु के लिए उपवास करूँ
शिव गौरी की पूजा करूँ
सदा सुहागन का वर पाऊँ।
सावन की आई है बहार
आया तीज का त्योहार।
रचयिता
सुषमा मलिक,
सहायक अध्यापक,
कंपोजिट स्कूल सिखेड़ा,
विकास खण्ड-सिंभावली,
जनपद-हापुड़।
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