कृष्ण जन्म
तर्ज- मोहन तेरी मुरली पागल कर जाती है
कान्हा तेरी बासुरियाँ,
कर गई मुझे बाबरिया।
जिस ओर नज़र जाए,
तुझे देखूँ साँवरिया।।
थी रात वो अंधियारी, जब जन्मे बनवारी।
थी रात वो अंधियारी, जब जन्मे बनवारी।।
खुल गए थे सब ताले,
और टूटी थीं बेड़ियाँ।
जिस ओर नज़र जाए,
तुझे देखूँ साँवरिया।।
घनघोर घटा छाई, यमुना भी भर आईं।
घनघोर घटा छाई, यमुना भी भर आईं।।
वसुदेव नहीं हारे,
जा पहुँचेगोकुलिया।
जिस ओर नज़र जाए,
तुझे देखूँ साँवरिया।।
गोकुल में जब आए, सबको सोता पाए।
गोकुल में जब आए, सबको सोता पाए।।
लिटा के कृष्णा को,
ले आए वो बिटिया।
जिस ओर नज़र जाए,
तुझे देखूँ साँवरिया।।
जब आए गिरधारी, मारा अत्याचारी।।
जब आए गिरधारी, मारा अत्याचारी।।
हुआ कंस का वध,
लौट आईं फिर खुशियाँ।
जिस ओर नज़र जाए,
तुझे देखूँ साँवरिया।।
रचयिता
हेमलता गुप्ता,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय मुकंदपुर,
विकास खण्ड-लोधा,
जनपद-अलीगढ़।
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