शिक्षा का रंग
नन्हीं-नन्हीं आशाओं के,
फूल महकने वाले हैं।
विद्यालय के आँगन में,
बच्चों के बोल चहकने वाले हैं।
नई उमंगें लेकर आए बच्चे,
खुशियों के गीत महकने वाले हैं
भोले-भाले बच्चों के मन,
शिक्षा के बीज निखरने वाले हैं।
मायूसी और उदासी अब,
मन की सब मिटने वाली है।
कोरे से कागज पर फिर से,
नए रंग बिखरने वाले हैं।
कितने हम मायूस हुए,
विद्यालय न आ पाने पर।
कितने हम लाचार हुए,
शिक्षा को न पाने पर।
हम शिक्षा से दूर हुए,
इस कोरोना के आने पर
करूँ यही विनती भगवान,
अब कोरोना तू मत आना
जीवन में शिक्षा का रंग,
अब हम सबको है भरना।
रचनाकार
दीपमाला शाक्य दीप,
शिक्षामित्र,
प्राथमिक विद्यालय कल्यानपुर,
विकास खण्ड-छिबरामऊ,
जनपद-कन्नौज।
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