हजारी प्रसाद द्विवेदी

अनमोल रत्न हिंदी साहित्य के,

आलोचक महान उपन्यासकार।

स्वरूप मानवतावादी आलोचनात्मक,

पद्मभूषण अलंकृत निबंधकार।।


पुनर्नवा जैसी कृतियाँ थीं,

साहित्य समृद्धि का सशक्त आधार।

हिंदी के अनन्या सेवक,

नमन कोटिश: बारम्बार।।


19 अगस्त 1960 की तारीख,

जन्मभूमि बलिया दुबे का छपरा।

पं० अनमोल द्विवेदी पिता विद्वान,

जिन्हें ज्ञान था ज्योतिष विद्या का।।


व्यक्तित्व सरल सहज प्रभावी,

हिंदी अंग्रेजी संस्कृत के विद्वान।

बांग्ला भाषा में बनी पकड़,

भक्तिकालीन साहित्य का ज्ञान।।


शोध कबीरदास के विचारों पर, 

सेतु अतीत वर्तमान के।

चारु चन्द्र लेखा अनामदास का पोथा,

द्विवेदी जी के क्लासिक उपन्यास थे।।


विचार गहन विश्लेषण सूक्ष्मता,

बोली थी परिमार्जित खड़ी।

उर्दू अंग्रेजी का समावेश,

आस्था मानवतावाद में बड़ी।।


आलोक पर्व उत्कृष्ट निबन्ध,

सूर साहित्य इतिहास बड़ा।

कवि हृदयता का प्रभाव,

इनकी रचनाओं में भी पड़ा।।


19 मई 1979 को रुकी,

कलम अनोखे कलमकार की,

सृजनात्मक लेखन के धनी,

अप्रतिम व्याख्याकार की।।


रचयिता

ज्योति विश्वकर्मा,

सहायक अध्यापिका,

पूर्व माध्यमिक विद्यालय जारी भाग 1,

विकास क्षेत्र-बड़ोखर खुर्द,

जनपद-बाँदा।

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