मदर टेरेसा
जन्म लिया था ऐसी आत्मा ने,
पर सेवा था उनका काम।
जीवन समर्पण किया जनहित में,
जग में छा गया उनका नाम।।
बचपन से ही थीं मेहनती,
सुंदर सुशील परोपकारी।
नोबेल पुरस्कार पाने वाली,
भारतीय नागरिक थीं तीसरी।।
पढ़ना लिखना था उनको पसंद,
और थी रुचि गाना गाने में।
गिरजाघर में बहन के साथ,
गाती गीत थी सस्वर में।।
अठारह वर्ष की आयु में ही,
चुन लिया था मानव सेवा को।
किया फैसला था अपनाने का,
"सिस्टर्स ऑफ लोरेटो" को।।
दलितों और पीड़ितों की सेवा,
तन मन धन से करती थीं।
बेबसों को देती थीं प्यार,
भूखों को खाना खिलाती थीं।।
पाई उपाधि दी पदम श्री की,
जो उन्नीस सौ अठासी में मिली।
आयुर ऑफ द ब्रिटिश एंपायर,
ब्रिटेन द्वारा थी उपाधि मिली।।
रचयिता
गीता देवी,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय मल्हौसी,
विकास खण्ड- बिधूना,
जनपद- औरैया।
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