जन्माष्टमी पर्व
भादों की काली रात आई,
अष्टमी तिथि का मुहूर्त लाई|
मामा के जेलों में जन्मे हैं,
देवकी के कुँवर कन्हाई||
मथुरा की जेलों के पहरे,
द्वार पाल सब सोये गहरे|
रूप विराट धरे मुरलीधर,
दर्शन देकर नैना खोलै||
रिमझिम रिमझिम मेघा बरसे,
यमुना पग छूने को तरसे|
सूप से चरण लियो लटकाई,
चरण पखारे मनहि मन हरषै||
सकल चराचर मंगल गावें,
जन्माष्टमी को पर्व मनावे|
नन्द यशोदा फूले न समाते,
सखियाँ सब मिल सोहर गावें||
दीन दयाल विरज सम्हारे,
पल में खुशियों के पौवारे|
छूट जाए सब आनी जानी,
व्यथा सुनें सब अन्तर्यामी|
रचयिता
रीता गुप्ता,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय कलेक्टर पुरवा,
विकास खण्ड-महुआ,
जनपद-बाँदा।
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