मोबाइल भैया
मोबाइल भैया गजब ही ढावें,
ऑनलाइन जब पढ़ाई करावें।
थोड़ी देर तो क्लास चलावें,
फिर बच्चों का जी ललचावें।
कार्टून की फिर याद दिलावें,
चोरी-चोरी से गेम खिलावें।
लत बुरी बच्चों को लगावें,
मन बच्चों का खूब भटकावें।
मम्मी पापा को बुद्धू बनावें,
पढ़ने का बच्चे नाटक बनावें।
मोबाइल बिन रह नहीं पावें,
मोबाइल पर झगड़ा करावें।
गुरु जी को काम ना दिखावें,
नेटवर्क प्रॉब्लम उनको बतावें।
पापा, भैया जब काम पे जावें,
मोबाइल तब बच्चे ना पावें।
कभी तो डाटा खत्म हो जावे,
कभी मोबाइल चार्ज ना हो पावे।
गुरु जी बेचारे फिर झल्लावें,
सोचें कैसे बच्चों को पढ़ावें।
फिर कैसे सारा कोर्स करावें,
कैसे प्रेरणा लक्ष्य हम पावें।
हे प्रभु आप ही कोई राह दिखावें,
शिक्षा की अलख फिर से जलावें।
रचनाकार
सपना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उजीतीपुर,
विकास खण्ड-भाग्यनगर,
जनपद-औरैया।
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