राष्ट्रीय खेल दिवस
आओ मिलकर हम सब खेलें खेल,
राजू, बंटू, किशन, रूबी बनाओ रेल।
छुपन-छुपाई, राजा-मंत्री, लगाओ दौड़,
चोर खजाना ढूँढने निकला, पहुँचा जेल।।
उछल-कूद और करें हँसी-ठिठोली,
साथी संग करते मस्ती हमचोली।
बचपन को तुम सदा जिंदा रखना,
खेल-खिलौनों हैं जीवन का गहना।।
खेल आलस को, है दूर भगाता,
तन-मन में स्फूर्ति-उमंग जगाता।
क्रिकेट, कबड्डी, हॉकी, फुटबॉल,
स्वस्थ शरीर, हो निरोगी काया।।
खुद को अकेला समझ, हार न जाना,
पाला छूकर, खुद जीत कर आना।
दिल में हो जुनून, जीत का तुझमें,
खेल भाव को सफलता मंत्र बनाना।।
हाकी, क्रिकेट, फुटबॉल, कबड्डी, खो-खो,
कपिल, तेंदुलकर, नीरज, नेहवाल बनो।
उड़ो! अपने सपनों को, पंख लगा कर,
फलक तक देश का तिरंगा लहरा दो।।
रचयिता
वन्दना यादव "गज़ल"
अभिनव प्रा० वि० चन्दवक,
विकास खण्ड-डोभी,
जनपद-जौनपुर।
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