राजगुरु

भरी पड़ी भारत भूमि,

आजादी के अफसानों से।

पग-पग में वीरगाथाएँ,

सहेजें कुछ कविताओं से।।


शत-शत नमन हमारा,

अमर शहीद बलिदानी को।

माँ भारती के लाल राजगुरु,

महान स्वतन्त्रता सेनानी को।।


पूरा नाम शिवराम हरि राजगुरु,

जन्मे 24 अगस्त 1908 को।

लड़े स्वतन्त्रता की खातिर,

माना दुल्हन आजादी को।।


कसरत के शौकीन राजगुरु,

वेद धर्म-ग्रंथों के ज्ञानी।

विद्याध्ययन की उम्र में ही,

भारत माँ के रक्षण की ठानी।।


धन्य हुआ खेड़ा गाँव,

पाया जो ऐसा वीर लाल।

हुए आजाद से यूँ प्रभावित,

जुड़े एचएसआरए से तत्काल।।


रघुनाथ छद्म नाम अपनाया,

निशानेबाजी के सीखे गुर।

साण्डर्स के वध में भगत,

सुखदेव का साथ दिया प्रचुर।।


22 वर्ष की उम्र में हुआ फिर,

एक लाल धरा पर कुर्बान।

हँसते-हँसते यूँ झूले फाँसी पर,

ना जाए देश की आन-बान-शान।।


रचयिता

ज्योति विश्वकर्मा,

सहायक अध्यापिका,

पूर्व माध्यमिक विद्यालय जारी भाग 1,

विकास क्षेत्र-बड़ोखर खुर्द,

जनपद-बाँदा।

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