महर्षि अरविन्द
15 अगस्त 1872 को जन्मे थे,
पिता के. डी. घोष चिकित्सक थे।
माता गृहणी स्वर्णलता देवी थीं,
पत्नी सुशीला मृणालिनी देवी थीं।।
क्रान्तिकारी थे श्री अरविन्द,
दार्शनिक भी श्री अरविन्द।
महर्षि भी थे श्री अरविन्द,
महानयोगी श्री अरविन्द।।
वेद, उपनिषद पर टीकाएँ लिखीं,
योग साधना पर ग्रन्थ लिखे।
चेतना विकास पर भी लिखा,
धरती पर जीवन विकास भी लिखा।।
स्वदेशी के प्रवर्तक थे,
सशस्त्र क्रांति के उद्घोषक थे।
राष्ट्रीय कालेज के आचार्य थे,
सर्वस्व त्याग के लिए तैयार थे।।
स्वदेशी आन्दोलन प्रारंभ किया,
'वंदेमातरम' का प्रकाशन किया।
विरोधाभासों भरा जीवन जिया,
भविष्यवाणियों से अचंभित किया।।
5 दिसम्बर 1950 यह सूर्य अस्त हुआ,
ज्ञान की धरा पर एक तारा कम जो हुआ।
उनके जीवन की थाह को मापा नहीं जा सकता,
आदर्शों को जीवन में अपने उतारा तो जा सकता।।
शत् शत् नमन
वन्दे मातरम्
रचयिता
अंजू गुप्ता,
प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय खम्हौरा प्रथम,
विकास क्षेत्र-महुआ,
जनपद-बाँदा।
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