घण्टी बजने वाली है
तर्ज-काली कमली वाला मेरा यार
स्कूल की घण्टी टन टन बजने वाली है।
महफ़िल बच्चों की फिर से सजने वाली है।
वक्त बुरा अब बीत गया है,
दुःखों का दरिया सूख गया है।
अब बौछार सुखों की होने वाली है,
महफ़िल बच्चों की, फिर से सजने वाली है।
स्कूल की घण्टी .........
सब गणवेश पहन कर आएँगे,
संग बस्ता भी अपने लाएँगे।
अम्बर में प्रार्थना फिर से गूँजने वाली है,
महफ़िल बच्चों की, फिर से सजने वाली है।
स्कूल की घण्टी .............
कक्षाएँ अब शोर मचाएँगी,
थालियाँ भी राग सुनाएँगी।
बच्चों की कतारें फिर से लगने वाली हैं।
महफ़िल बच्चों की, फिर से सजने वाली है।
स्कूल की घण्टी..........
कबके बिछड़े आज मिलेंगे,
दिल के सारे राज खुलेंगे।
विद्यालय में रौनक फिर से आने वाली है,
महफ़िल बच्चों की, फिर से सजने वाली है।
स्कूल की घण्टी ............
क ख ग घ फिर से पढ़ेंगे,
गिनती पहाड़े खूब रटेंगे।
प्रेरणा दीक्षा फिर से चहकने वाली हैं,
महफ़िल बच्चों की, फिर से सजने वाली है।
स्कूल की घण्टी ............
रचनाकार
सपना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उजीतीपुर,
विकास खण्ड-भाग्यनगर,
जनपद-औरैया।
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