विश्व संस्कृत दिवस
श्रावणी पूर्णिमा का आया पावन अवसर,
मनाते हैं इसी दिन हम संस्कृत दिवस।
ऋषियों के स्मरण, पूजा, समर्पण का पर्व,
वैदिक साहित्य में श्रावणी भी कहलाए दिवस।।
यज्ञोपवीत का इस दिन है विधान,
यह संस्कार कहलाता है उपनयन।
यजमानों को बाँधते हैं रक्षा सूत्र,
ऋषि संस्कृत साहित्य के द्योतक महान।।
समस्त भाषाओं की जननी है संस्कृत,
आदि भाषा मानी जाती है संस्कृत।
1969 से इसे मनाने का हुआ ऐलान,
मधुर और दिव्य देव भाषा है संस्कृत।।
सुरुचिपूर्ण, प्रिय, सुखद है संस्कृत भाषा,
विश्व कल्याण की भावना है संस्कृत भाषा।
मनाने का उद्देश्य प्रचार-प्रसार करना,
वसुधैव कुटुंबकम की भावना है संस्कृत भाषा।।
नासा के वैज्ञानिकों ने इसकी महत्ता को पहचाना,
शांति और सहयोग का आयाम इसे माना।
माँ का करेंगे यदि हम सब सम्मान,
कैसे कोई रोक पाएगा देश बनने से महान।।
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