देशप्रेम की राखी
राखी के इस दिन पर भैया,
तुम यह भूल ना जाना।
राष्ट्र सेवा पर गये हो बीरा,
तुम अपना कर्तव्य निभाना।।
भेज रही हूँ डाक से राखी,
तुम जब भी इसको पाना।
बाँध कलाई रक्षासूत्र को,
गोली दुश्मन पे चलाना।।
ना माँगूँ उपहार मैं कोई,
ना तोहफा कोई लुभाना।
जो बने हैं देश के दुश्मन तुम,
उन गद्दारों का सिर ले आना।।
मैं करूँगी विजय तिलक तुमको,
जब लौट के घर को आना।
हर बहनों के बीर हो तुम,
तुम अपना फर्ज निभाना।।
रचयिता
रविंद्र कुमार "रवि" सिरोही,
एआरपी,
विकास खण्ड-बड़ौत,
जनपद-बागपत।
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