कृष्ण जन्माष्टमी
खिला हर फूल जिसके जन्म से गोकुल का ग्वाला है।
हुए दुख दूर सबके, आज वह सब का रखवाला है।।
हुई देखो प्रकाशित हर दिशा, वह ज्योतिपुँज उजाला है।
सुनो सब नाम उसका कृष्ण कन्हैया मुरली वाला है।।
पक्ष है कृष्ण भादों का देखो घनघोर अंधेरा है।
समय है आधी रात का पर जन्मा सवेरा है ।।
भरे हृदय में सुख सारा वो देवकी का दुलारा है।
जिसकी सूरत है देखो सांवली सारे जग से न्यारा है।।
गई हैं टूट सारी बेड़ियाँ खुले जेल के द्वारा है।
गए सब सो गहरी नींद में कंस के पहरेदारा हैं।।
चले वसुदेव लेकर लाल को आँखों का तारा है।
हुआ है धन्य देखो सूप जिसमें लेटा सितारा है।।
हुई व्याकुल देखो आज यमुना आया प्रिय प्यारा है।
करें है चरणों को स्पर्श देखो यमुना की धारा है।।
गगन में चमक रही है दामिनी गिरे बरसा की धारा है।
करी छाया है शेषनाग ने, न भीगे मोहन प्यारा है ।।
उसके आने से देखो जल उठे दीपक हजारा है।
आया नंद के घर प्रसून, महके आँगन सारा है ।।
हुई है धन्य हमारी लेखनी लिखे वृतांत सारा है।
उस कृष्ण कन्हैया मुरलीधर को नमन बारंबारा है।।
रचयिता
गीता देवी,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय मल्हौसी,
विकास खण्ड- बिधूना,
जनपद- औरैया।
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