३९७~ अरविंद कुमार पाल (प्रधानाध्यापक) प्राथमिक विद्यालय चितईपुर, ज्ञानपुर, भदोही

🏅अनमोल रत्न🏅

मित्रों आज हम आपका परिचय मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से जनपद- भदोही से बेसिक शिक्षा के अनमोल रत्न शिक्षक साथी भाई अरविन्द कुमार पाल जी से करा रहे हैं। जिन्होंने अपनी सकारात्मक सोच और समर्पित व्यवहार कुशलता एवं सूझ-बूझ से एक सरकारी विद्यालय में आने वाली अनेकों विषम एवं प्रतिकूल परिस्थितियों को बड़ी ही सहजता एवं सरलता से न सिर्फ अनुकूल बनाया बल्कि विद्यालय को समाज एवं बच्चों के लिए आकर्षण एवं विश्वास का केन्द्र बना दिया है। मिशन शिक्षण संवाद परिवार आपको सादर नमन करता है।


आइये देखते हैं आपके अनुभव और व्यवहारिक ज्ञान के प्रेरक एवं अनुकरणीय प्रयासों को, जो हम सभी के लिए विद्यालय विकास में उपयोगी एवं सहायक सिद्ध होंगे।

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=2530233303920918&id=1598220847122173

👉1- शिक्षक परिचय: अरविंद कुमार पाल (प्रधानाध्यापक) प्राथमिक विद्यालय चितईपुर ज्ञानपुर भदोही
विद्यालय में नियुक्ति का वर्ष -
31 - 10 - 2007
विभाग में नियुक्ति का वर्ष-
18 - 09 - 2002

👉2- विद्यालय की समस्याएँ:-
प्राथमिक विद्यालय चितईपुर ज्ञानपुर भदोही ग्रामसभा पैदा खास में स्थित एक बस्ती चितईपुर में हुआ है। चितईपुर में लगभग 200 से ढाई सौ परिवार रहते हैं सामान्यतया बस्ती के ज्यादातर निवासी बाहर जाकर मजदूरी करते हैं और महिलाएं बच्चों को लेकर दूसरों के खेतों पर मजदूरी का कार्य करती हैं ग्राम सभा में 4 मान्यता प्राप्त विद्यालय संचालित थे। प्रारंभ में मान्यता प्राप्त विद्यालय के प्रधानाध्यापक प्रबंधक स्थानीय प्रभाव अन्य कारणों से बच्चों को अपने यहाँ नामांकित करा लेते थे एवं प्राथमिक विद्यालय में केवल वही बच्चे नामांकन कराते थे जो बेहद गरीब परिवार के होते थे, फसल के सीजन में ज्यादातर बच्चे अपने माता-पिता के साथ क्षेत्रों में काम करने चले जाते हैं और विद्यालय में नामांकन के सापेक्ष उपस्थिति कम हो जाया करती थी काफी प्रयास के बाद भी शिक्षा के प्रति उतनी रुचि जागृत नहीं हो पा रही थी इतने प्रयास विद्यालय द्वारा किया जाता था उक्त समस्या से पार पाने के लिए मैंने प्रयास प्रारंभ किए मैंने अनुभव किया कि "जब तक बच्चों को बाध्य होकर मजबूरी वश या बेमन से स्कूल आने की भावना से मुक्त नहीं किया जाएगा तब तक उन्हें मानसिक रूप से सीखने के लिए तैयार करना संभव नहीं है" अतः पठन-पाठन का वातावरण कुछ ऐसा हो कि बच्चे स्वतः प्रतिदिन स्कूल आने को उत्सुक रहे, इधर-उधर बारी बगीचों व तालाबों के किनारे निर्देश टहलने खेलने से बेहतर उन्हें विद्यालय परिसर व कक्षाएं लगने लगे।


👉3- समस्या समाधान के उपाय:-
विद्यालय की समस्याओं के समाधान के लिए मैंने दो प्रमुख बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करना प्रारंभ किया।

🥀1- विद्यालय का भौतिक परिवेश कैसे आकर्षक बनाया जाए।
🥀2- कक्षाओं को नीरसता से छुटकारा दिलाने के लिए क्या-क्या किया जा सकता है।
क्योंकि विद्यालय भवन उसर भूमि पर निर्मित व बाउंड्री वाल न होने के कारण पेड़-पौधे लगाकर उन्हें पोषित कर पाना संभव नहीं हो पा रहा था। साज - सज्जा का प्रयास करने पर अराजक तत्वों द्वारा नुकसान कर दिया जाता था। यहाँ तक कि विद्यालय स्टाफ द्वारा ऐसे कृतियों का विरोध करने पर समुदाय से सहयोग की बजाय विरोध का ही सामना करना पड़ रहा था। मेरे द्वारा विद्यालय परिसर में पर्याप्त मात्रा में उपजाऊ मिट्टी डलवा कर पौधरोपण का प्रयास किया गया, परन्तु शरारती तत्वों को यह बिल्कुल भी स्वीकार नहीं था कि शादी ब्याह में अब तक जिस परिसर का उपयोग टेंट लगाने, आग जलाने, बरात ठहराने में होता रहा है वहाँ नए पेड़ उगा कर व्यवधान डालें। अतः हम जितने मनोयोग से पेड़ लगाते उतने ही निर्ममता से उसे उखाड़ देते। इससे विवाद बढ़ा तब बात FIR तक पहुंची। पर हमने हार नहीं मानी और विवाद की जगह संवाद का रास्ता चुनकर, अपने पथ पर आगे बढ़ते रहे। समुदाय में लोग जाकर लोगों से बातचीत जारी रखी इसके अतिरिक्त आम लोगों के साथ-साथ खास लोगों जैसे क्षेत्र पंचायत सदस्य, ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत सदस्य से सम्पर्क बढ़ाने का प्रयास शुरू किया गया। विद्यालय में किए जा रहे प्रयासों से भावनात्मक रूप से जोड़ने का प्रयास किया गया, साथ ही विद्यालय की दीवारों पर साज-सज्जा पेंटिंग आदि कराई गई। विद्यालय के प्रति लोगों के नजरिए में बदलाव देखा जाने लगा बस्ती के परिवारों में आने वाले रिश्तेदार विद्यालय की साज-सज्जा की तारीफ करने लगे। जिससे अभिभावक गौरवान्वित महसूस करने लगे और विद्यालय के प्रति उनके व्यवहार में परिवर्तन होने लगा। आज वही ग्रामवासी विद्यालय को अपना मान कर स्वयं उसकी सुरक्षा में लग गए, नतीजा आज विद्यालय में 7 बड़े पेड़ और सैकड़ों सजावटी पौधे, गमले सांस्कृतिक कार्यक्रम हेतु झूला, शीशा, स्लाइडिंग सीढ़ी शोभा बढ़ा रहे हैं और यहाँ नामांकन भी प्रतिवर्ष गुणात्मक रूप से बढ़ रहा है।
👉4- नामांकन एवं उपस्थिति के लिए प्रयास:-
🥀प्रथम प्रयास के अंतर्गत मैंने उपस्थिति लेने के पश्चात प्रतिदिन अलग रजिस्टर में अनुपस्थित बच्चों के नाम अंकित कर उनके घर जाकर अभिभावकों से मिला। अनुपस्थिति का वास्तविक कारण जानने व अभिभावकों से बातचीत करके उन्हें प्रतिदिन की उपस्थिति का महत्व अनुपस्थिति के दुष्प्रभावों को समझाने का प्रयत्न करता रहा। जिससे अभिभावकों के सकारात्मक दृष्टिकोण में वृद्धि हुई और बच्चे भी अब बिना उचित कारण घर नहीं रुकते।
🥀दूसरे प्रयोग के अंतर्गत मैंने ग्राम सभा के प्रत्येक क्षेत्र से बच्चों का एक- एक ग्रुप बना दिया प्रत्येक ग्रुप के सभी सदस्य विद्यालय में समय से उपस्थित हो। जिस ग्रुप के सदस्य प्रतिदिन समय से आते हैं उन्हें माह के अंत में पुरस्कृत किया जाता है। साथ ही प्रतिदिन जिस ग्रुप के सभी सदस्य सबसे पहले आते थे। उन्हें के लिए प्रार्थना सभा में ताली बजाई जाती थी। अध्यापकों का आकर्षण, स्नेहिल व्यवहार व मधुर संबंध वह महत्वपूर्ण साझा तत्व हैं जिनकी बदौलत आज विद्यालय में नामांकन के सापेक्ष औसत वार्षिक उपस्थिति 90% ठहराव 100% है।







🥀नामांकन वृद्धि: निजी विद्यालयों जिनकी संख्या ग्राम सभा में चार है से अभिभावकों का मोह भंग कराने का सीधा तरीका याद करते हुए मैंने अपने विद्यालय के तेज बच्चों को की प्रतिस्पर्धा प्राइवेट विद्यालयों के बच्चों के साथ उनके माता-पिता के समक्ष करानी प्रारंभ की। जहाँ मेरे विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चे मान्यता प्राप्त विद्यालय विद्यालयों के बच्चियों से ज्यादा अच्छे व सही जवाब देते थे। जिसका प्रभाव पड़ा कि वह सब धीरे-धीरे अपने बच्चों का प्रवेश प्राइमरी विद्यालय चितईपुर में कराने लगे साथ ही अन्य अभिभावकों को भी प्रेरित करने लगे जहाँ पहले नामांकन 60 से 70 था वर्तमान सत्र में नामांकन 230 है। जिसमें प्राइवेट विद्यालयों से आए बच्चों की अच्छी मात्रा शामिल है
🥀आकर्षक भौतिक परिवेश, अभिभावकों का अभूतपूर्व सहयोग व शैक्षणिक गुणवत्ता में उत्तरोत्तर वृद्धि का क्रम निरंतर जारी है शैक्षिक गुणवत्ता में वृद्धि के लिए विद्यालय पूरी तरह से आईसीटी के तहत संचालित है।
🥀आईसीटी की समस्त सामग्री मेरे द्वारा स्वयं के धन से क्रय की गई है। क्रम से जिस तरह से क्रय की गई वह विद्यालय व्यवस्था की गई वह यह है
⚘1- emplifier साउंड व माइक की व्यवस्था
⚘2- लैपटॉप का प्रयोग
⚘3- स्मार्ट क्लास की स्थापना
इसी दौरान एक प्रतिष्ठित विद्यालय में जाने तथा उसे समझने का मौका मिला तो वहीं से मुझे स्मार्ट क्लास का विचार आया कि इसी तरह से हमारे बच्चे भी विषय वस्तु को सहजता व सरलता से समझ सके फिर हमने स्वयं के धन से जनपद में पहली बार सन- 2014 में आदरणीय जिलाधिकारी महोदय भदोही के द्वारा भव्य समारोह में प्राथमिक विद्यालय चितईपुर, ज्ञानपुर, भदोही में स्मार्ट क्लास का उद्घाटन कराया। मेरा यह प्रयोग बड़ा सफल रहा श्रव्य- दृश्य साधन होने से बच्चे उन्हें रुचि से समझते व ज्ञान स्थाई होने लगा, साथ ही बच्चों में नामांकन के सापेक्ष उपस्थिति में भी वृद्धि हुई इसके अतिरिक्त आसपास चलने वाले प्राइवेट विद्यालयों में स्मार्ट क्लास की व्यवस्था न होने के कारण अन्य विद्यालय के बच्चे हमारे विद्यालय में आने लगे। जिससे न केवल नामांकन में वृद्धि हुई बल्कि विद्यालय व यहाँ की शिक्षण व्यवस्था की दूर-दूर तक प्रशंसा होने लगी।






4⚘- कंप्यूटर लैब की व्यवस्था- ग्रामीण परिवेश में कंप्यूटर बच्चों के लिए एक अबूझ पहेली सी लगती है जिसके लिए वर्ष- 2016 में मेरे द्वारा विद्यालय में 4 कंप्यूटर लगाए गए जिसके लिए वर्ष- 2016 में माननीय जिलाधिकारी महोदय भदोही के कर कमलों द्वारा उद्घाटन किया गया अब बच्चे प्रतिदिन कंप्यूटर पर कार्य करते हैं विद्यालय में कंप्यूटर लैब होने से बच्चों को न केवल कंप्यूटर के भाग एवं उनके कार्यों को सर्वप्रथम जाना, अंकित प्रिंट के माध्यम से चित्रकारी वर्ड पर कार्य गेम खेलने में बच्चों के कौतूहल उनके कार्य शैली व कलात्मकता सृजनात्मकता में सुखद परिवर्तन दिखाई दिया।
⚘5- सीसीटीवी कैमरा- विद्यालय के प्रत्येक कक्षा- कक्ष में सीसीटीवी कैमरा स्वयं के धन से लगाया गया अब न केवल कक्षा- कक्ष में बच्चों के क्रियाकलाप पर निगाह रखी जाती है बल्कि अध्यापकों द्वारा क्या पढ़ाया जा रहा है बच्चे क्या पढ़ रहे हैं सारी गतिविधि रिकॉर्ड होती रहती है एवं आवश्यकतानुसार बच्चों व अध्यापकों को सुधार हेतु आवश्यक दिशा निर्देश दिया जाता है।
⚘6- वाकी- टॉकी की व्यवस्था
⚘7- टेबलेट की व्यवस्था- अभी हाल ही में मैंने 19 और नवाचारी प्रयोग किया है नामांकन की अधिकता के कारण समस्त बच्चों को कंप्यूटर पर कार्य करने की पर्याप्त समय नहीं मिल पाता था इस समस्या के निदान के लिए मुझे बच्चों को टेबलेट उपलब्ध कराने का सनकी ख्याल है और मैंने अभिलंब 10 टेबलेट खरीदा और टेबलेट के माध्यम से बच्चों का ग्रुप बनाकर विभिन्न क्रियाकलापों शैक्षणिक गतिविधियों के वीडियो क्विज के वीडियो के साथ ही पाठ्य पुस्तकों पर अंकित क्यूआर कोड को स्कैन कर सभी पाठों के वीडियो दिखाना आदि कार्य कराते हैं इससे बच्चों में सीखने की सक्रियता में वृद्धि हुई है।
⚘8- 3D वीआर बॉक्स की व्यवस्था- 3D पिक्चर के द्वारा एकदम सजीव व वास्तविक चलचित्र की तरह प्रकरणों को दिखाकर समझाया जाना प्रारंभ किया गया है जिसका असर हुआ है कि संबंधित प्रकरण बच्चों के मन मस्तिष्क पर अमिट स्याही की तरह स्थाई हो जा रहे हैं।
⚘9- प्रभावी बाल संसद- विद्यालय में बाल संसद का गठन लोकतांत्रिक प्रणाली पर आधारित है जिस तरह सांसद के चयन की प्रक्रिया होती है। उसी तरह यहाँ पर भी पहले अधिसूचना जारी होना, नामांकन, नाम वापसी, प्रचार, मतदान, मतगणना और उसके पश्चात परिणाम की घोषणा, परिणाम घोषणा के पश्चात विजयी प्रत्याशियों को प्रमाण पत्र देना व शपथ ग्रहण करवाना। इसके बाद बाल संसद की प्रथम बैठक शिक्षकों की देखरेख में की जाती है फिर बाद में बाल संसद के सदस्य स्वयं से महीने में दो बार बैठक करते हैं जिसमें विद्यालय वह बच्चों से जुड़ी समस्याओं पर चर्चा कर निदान करते हैं बाल संसद के मंत्री मंडल के सभी सदस्य अपने अपने कार्य का निर्वहन सुचारू रूप से स्वयं करते हैं और उसमें जो भी समस्याएं आती हैं उसका समाधान करने के लिए बैठक बुलाकर प्रधानमंत्री और उसके मंत्रिमंडल के साथ वार्तालाप के द्वारा सुलझाया जाता है जिसमें शिक्षकों की भी मदद ली जाती है बाल संसद के कारण अध्यापकों को पढ़ाने के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है साथ ही विद्यालय से बच्चों का लगाव भी बढ़ता जा रहा है बाल संसद के इन्हीं सब कार्यों से प्रभावित होकर यूनिसेफ की टीम द्वारा दिसंबर- 2018 में विद्यालय में आकर डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाई गई और उनके द्वारा बाल संसद के कार्यों की भरपूर सराहना की गई।
⚘10- समर कैंप- वर्तमान विद्यालय में बच्चों की उपस्थिति 90% से ऊपर रहती है क्योंकि बच्चे उत्सुकता पूर्वक खुशी- खुशी विद्यालय में अपनापन महसूस होने की प्रेरणा के साथ स्वयं स्कूल आते हैं। इससे स्कूल के प्रति रोचकता व आने की निरंतरता को बनाए रखने के लिए एवं कुछ व्यवसायिक ज्ञान देने के लिए प्रतिवर्ष 20 मई से 30 मई तक समर कैंप का आयोजन किया जाता है जिसमें बच्चे चित्रकला, क्राफ्ट वर्क, संगीत, रंगोली, मूर्तिकला आत्मरक्षा के गुण बेकार के सामानों से सजावटी सामान बनाना आदि सीखते हैं।
विद्यालय में प्रतिवर्ष बच्चों को आई- कार्ड टाई व बेल्ट के साथ ही साथ समस्त बच्चों को आवश्यकतानुसार कॉपी व पेन स्वयं के धन से उपलब्ध कराया जाता है।
⚘11- नामांकन विवरण
शैक्षणिक सत्र नामांकन
2015-16. -151
2016-17. -176
2017-18. -202
2018-19. -209
2019-20. -229
⚘12- छात्र उपस्थिति व ठहराव- प्राथमिक विद्यालय चितईपुर ज्ञानपुर भदोही में औसत वार्षिक उपस्थिति 90% के ऊपर व ठहराव 100% है।
⚘13- वर्तमान अध्यापक विवरण
प्रधानाध्यापक- 01
सहायक अध्यापक- 04
शिक्षा मित्र- 02
आज हम सब अपने आप को बहुत ही गौरवान्वित महसूस करता हूँ जब प्रत्येक बच्चे के चेहरे पर खिलखिलाती हंसी अगाध प्यार एवं समर्पण भाव अपने प्रति पाता हूँ बच्चों का आत्मविश्वास एवं उनकी अभिव्यक्ति उनकी कला का मैं कायल हूँ मैं समझता हूँ कि दुनिया बहुत तेजी से बदल रही है कॉन्वेंट स्कूलों को अगर हमें मात देकर उन्हें धुल चटानी है एवं अपने खोए हुए सम्मान को वापस पाना है तो समय के साथ कदम से कदम मिलाकर बच्चों को पारंपरिक ज्ञान के साथ आधुनिक तकनीकों का प्रयोग कर बच्चों के भविष्य को सार्थक सुखी एवं सुरक्षित बनाते हुए देश की प्रगति में एक मजबूत कड़ी के रूप में तैयार किया जा सकता है।





संकलन: ज्योति कुमारी
टीम मिशन शिक्षण संवाद

नोट: मिशन शिक्षण संवाद परिवार में शामिल होने एवं अपना, अपने जनपद अथवा राज्य के आदर्श विद्यालयों का अनमोल रत्न में विवरण भेजने तथा मिशन शिक्षण संवाद से सम्बन्धित शिकायत, सहयोग, सुझाव और विचार को मिशन शिक्षण संवाद के जनपद एडमिन अथवा राज्य प्रभारी अथवा 9458278429 अथवा 7017626809 और ई-मेल shikshansamvad@gmail. com पर भेज सकते हैं।
सादर:
विमल कुमार
टीम मिशन शिक्षण संवाद
01-01-

Comments

Post a Comment

Total Pageviews