बसंत
मौसमी कविता
(फागुनी छटाओं से सराबोर)
आया बसंत-आया बसंत,
सब के मन भाया बसंत।
अतिप्रसन्नता विहवल हो,
कलियों ने मुस्कान दिखाई।।
रंग-बिरंगे फूल सुशोभित,
जिन पे भौरों की अंगड़ायी।
मकरन्दों की खुशबू से,
महक उठा ए गगन अनन्त।।
आया बसंत-आया बसंत,
सबके मन भाया बसंत।
तीव्र हो चली सूर्य रोशनी,
गर्माहट दे भीनी-भीनी।
ठण्ड कंपकंपी प्राण छोड़ती,
आहट पा बैरी गर्मी।।
ग्रीष्मकाल का हुआ आगमन,
शरद ऋतु का होता अंत।
आया बसंत, आया बसंत,
सब के मन भाया बसंत।।
साफ-शुष्क हो उठा आसमां,
पाले-कुहरे की घटा छँटी।
पूर्ण जोश में सरसों यौवन,
पीली चादर से धरा ढंकी।।
वृक्ष शिखा थी चिरनिद्रा सोयी,
गर्माहट पा हुई जीवंत।
आया बसंत, आया बसंत,
सबके मन भाया बसंत।।
झूम उठे सब बाग वृक्ष वन,
बहने लगी फागुनी बयार।
तन-मन में मदमस्ती छाई,
होती नव-उर्जा संचार।।
आम जनों की बात ही दीगर,
भांग के रंग में साधु-संत।
आया बसंत, आया बसंत,
सबके मन भाया बसंत।।
वन-उपवन सब केंचुल छोडें,
होती पत्तों की बरसात।
गुनगुनी दुपहरी शाम मस्त,
शीतल निशा, मधुर प्रभात।।
स्वर्ग जमीं पर है आ उतरा,
रंग होली का चढ़ा दिगंत।
आया बसंत-आया बसंत,
सबके मन भाया बसंत।।
जय हिंद जय राष्ट्रवाद
रचयिता
विजय मेहंदी,
सहायक अध्यापक,
KPS(E.M.School)Shudanipur,Madiyahu,
जनपद-जौनपुर।
(फागुनी छटाओं से सराबोर)
आया बसंत-आया बसंत,
सब के मन भाया बसंत।
अतिप्रसन्नता विहवल हो,
कलियों ने मुस्कान दिखाई।।
रंग-बिरंगे फूल सुशोभित,
जिन पे भौरों की अंगड़ायी।
मकरन्दों की खुशबू से,
महक उठा ए गगन अनन्त।।
आया बसंत-आया बसंत,
सबके मन भाया बसंत।
तीव्र हो चली सूर्य रोशनी,
गर्माहट दे भीनी-भीनी।
ठण्ड कंपकंपी प्राण छोड़ती,
आहट पा बैरी गर्मी।।
ग्रीष्मकाल का हुआ आगमन,
शरद ऋतु का होता अंत।
आया बसंत, आया बसंत,
सब के मन भाया बसंत।।
साफ-शुष्क हो उठा आसमां,
पाले-कुहरे की घटा छँटी।
पूर्ण जोश में सरसों यौवन,
पीली चादर से धरा ढंकी।।
वृक्ष शिखा थी चिरनिद्रा सोयी,
गर्माहट पा हुई जीवंत।
आया बसंत, आया बसंत,
सबके मन भाया बसंत।।
झूम उठे सब बाग वृक्ष वन,
बहने लगी फागुनी बयार।
तन-मन में मदमस्ती छाई,
होती नव-उर्जा संचार।।
आम जनों की बात ही दीगर,
भांग के रंग में साधु-संत।
आया बसंत, आया बसंत,
सबके मन भाया बसंत।।
वन-उपवन सब केंचुल छोडें,
होती पत्तों की बरसात।
गुनगुनी दुपहरी शाम मस्त,
शीतल निशा, मधुर प्रभात।।
स्वर्ग जमीं पर है आ उतरा,
रंग होली का चढ़ा दिगंत।
आया बसंत-आया बसंत,
सबके मन भाया बसंत।।
जय हिंद जय राष्ट्रवाद
रचयिता
विजय मेहंदी,
सहायक अध्यापक,
KPS(E.M.School)Shudanipur,Madiyahu,
जनपद-जौनपुर।
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