बसंत पर्व पर वंदन
मातु शारदे नमन तव,
चरण कमल प्रणिपात।
दीजै विद्या विमल यश,
अप्रतिम ज्ञान प्रभात।।
वंदन नित हिय से करूँ,
कृपा कीजिए मात।
श्रद्धा सहित प्रणाम है,
चरणन रखके माथ।।
कीजिए प्रकाश नव्य भव्य,
मानस की जड़ता मिटाइए।
शम दम षट सम्पतियों से,
मेधा को प्रखर माँ बनाइए।।
करबद्ध कर प्रणाम आपको,
भावना के पुष्प मैं चढ़ाता हूँ।
सरस स्वर वीणाा झंकार दो,
हे वंदनीय शीश मैं झुकाता हूँ।
हो दिव्य ज्ञान मानस में नित्य,
वह ज्योति अन्तर में जलाइए।
चहुँदिशि हो रश्मियाँ अनंत,
रवि ज्ञान प्रखर वह उगाइए।।
हो विद्या का प्रसार सर्वत्र माँ,
मानस में मधुमास भर जाइए।
हो भारत महान ज्ञान में उच्च,
कृपा की किरण कर जाइए।
रचयिता
सतीश चन्द्र "कौशिक"
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय अकबापुर,
विकास क्षेत्र-पहला,
जनपद -सीतापुर।
चरण कमल प्रणिपात।
दीजै विद्या विमल यश,
अप्रतिम ज्ञान प्रभात।।
वंदन नित हिय से करूँ,
कृपा कीजिए मात।
श्रद्धा सहित प्रणाम है,
चरणन रखके माथ।।
कीजिए प्रकाश नव्य भव्य,
मानस की जड़ता मिटाइए।
शम दम षट सम्पतियों से,
मेधा को प्रखर माँ बनाइए।।
करबद्ध कर प्रणाम आपको,
भावना के पुष्प मैं चढ़ाता हूँ।
सरस स्वर वीणाा झंकार दो,
हे वंदनीय शीश मैं झुकाता हूँ।
हो दिव्य ज्ञान मानस में नित्य,
वह ज्योति अन्तर में जलाइए।
चहुँदिशि हो रश्मियाँ अनंत,
रवि ज्ञान प्रखर वह उगाइए।।
हो विद्या का प्रसार सर्वत्र माँ,
मानस में मधुमास भर जाइए।
हो भारत महान ज्ञान में उच्च,
कृपा की किरण कर जाइए।
रचयिता
सतीश चन्द्र "कौशिक"
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय अकबापुर,
विकास क्षेत्र-पहला,
जनपद -सीतापुर।
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