ऋतुएँ

शरद, ग्रीष्म, वर्षा व बसन्त बहार
              ये हैं 'ऋतुओं' के प्रकार

धूप सेंकते, आग तापते
     किट - किट सबके दाँत काँपते
सबने लादे ढेर से कपड़े
               चाहें दुबले हो या तगड़े
बच्चे बूढ़े या जवान
              सबको करती है परेशान
हम सबको बहुत सताती
          शरद ऋतु है कहलाती

इसमें चलती है सूरज की मनमानी
     सब माँगें शर्बत और नींबू पानी
निकलता पसीना, चलती लू
        इसको कहते ग्रीष्म ऋतु

बादल गरजा, बिजली कड़की
           बन्द हुईं, घरों की खिड़की
बूँदें टपकीं झम -झम -झम
देखो आया बारिश का मौसम

पतझड़ हुआ नए पात निकले
        पेड़ों में रंग बिरंगे फूल खिले
खेतों में हरियाली छायी
          ऋतुओं की रानी है आयी
सबके मन को भाती है
         बसंत ऋतु कहलाती है

रचयिता
रीनू पाल,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय दिलावलपुर,
विकास खण्ड - देवमई,
जनपद-फतेहपुर।

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