मैं भी फौजी बनूँगा
मैं भी बड़ा होकर आप जैसा फौजी बनूँगा,
पहन वर्दी माँ भारती का वन्दन करूँगा।
सीमा पर तानकर बन्दूक डटा रहूँगा,
देश की रक्षा, प्रहरी बन करता रहूँगा।
शेर का बेटा हूँ सबको ये दिखला दूँगा।
दुश्मन को पल भर में ही धूल चटा दूँगा।
उनका नामोनिशान दुनिया से मिटा दूँगा,
सीमा पार भी जय हिन्द के नारे लगा दूँगा।
युद्घ में मैं अपना पूरा दम दिखला दूँगा,
देश का तिरंगा दुश्मन की छाती पर फहरा दूँगा।
पहन वर्दी माँ भारती का वन्दन करूँगा।
सीमा पर तानकर बन्दूक डटा रहूँगा,
देश की रक्षा, प्रहरी बन करता रहूँगा।
शेर का बेटा हूँ सबको ये दिखला दूँगा।
दुश्मन को पल भर में ही धूल चटा दूँगा।
उनका नामोनिशान दुनिया से मिटा दूँगा,
सीमा पार भी जय हिन्द के नारे लगा दूँगा।
युद्घ में मैं अपना पूरा दम दिखला दूँगा,
देश का तिरंगा दुश्मन की छाती पर फहरा दूँगा।
रचयिता
अभिषेक शुक्ला,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय लदपुरा,
विकास क्षेत्र-अमरिया,
जिला-पीलीभीत।
Comments
Post a Comment