शहीद की पत्नी का दर्द
मैं किसे सुनाऊँगी दिल का दुखड़ा,
तुम मुझे छोड़कर चले गए।
कितने थे वादे उम्मीदें,
उसे तोड़कर चले गए।
मैं तो तेरी राह निहार रही थी,
तुम जल्दी घर आओगे।
मेरे हर सपने ख्वाबों को,
पूरा कर तुम जाओगे।
मैं कैसे सम्भालूँ माँ-पापा को ,
जिसकी लाठी तोड़ चले गए।
मैं कैसे समझाऊँ मुन्ना को,
जिसका बचपन छीन चले गए।
अब तुम ही बताओ मैं क्या करूँ,
जिन्दगी का कहाँ किनारा होगा,
इस लूट गयी अभागिन का,
अब कौन मेरा सहारा होगा।
मैं किस पर जताऊँगी हक अपना,
तुम मुझसे मुँह मोड़ चले गए।
मैं किसे सुनाऊँगी दुखड़ा अपना,
तुम दुनिया छोड़कर चले गए।
रचयिता
बिधु सिंह,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय गढी़ चौखण्ड़ी,
विकास खण्ड-बिसरख,
जनपद-गौतमबुद्धनगर।
तुम मुझे छोड़कर चले गए।
कितने थे वादे उम्मीदें,
उसे तोड़कर चले गए।
मैं तो तेरी राह निहार रही थी,
तुम जल्दी घर आओगे।
मेरे हर सपने ख्वाबों को,
पूरा कर तुम जाओगे।
मैं कैसे सम्भालूँ माँ-पापा को ,
जिसकी लाठी तोड़ चले गए।
मैं कैसे समझाऊँ मुन्ना को,
जिसका बचपन छीन चले गए।
अब तुम ही बताओ मैं क्या करूँ,
जिन्दगी का कहाँ किनारा होगा,
इस लूट गयी अभागिन का,
अब कौन मेरा सहारा होगा।
मैं किस पर जताऊँगी हक अपना,
तुम मुझसे मुँह मोड़ चले गए।
मैं किसे सुनाऊँगी दुखड़ा अपना,
तुम दुनिया छोड़कर चले गए।
रचयिता
बिधु सिंह,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय गढी़ चौखण्ड़ी,
विकास खण्ड-बिसरख,
जनपद-गौतमबुद्धनगर।
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