बाल अधिकार

बाल अधिकारों का कविता के रूप में वर्णन

सुनो सुनाएँ बाल अधिकार,
अधिकारों में संभावनाएँ अपार,
बच्चों को हो इनका भान,
बढ़ता जाए उनका ज्ञान।
6 से 14 वर्ष के बच्चे,
अनिवार्य शिक्षा पाते हैं,
निःशुल्क शिक्षा लाभ से,
प्रगति करते जाते हैं।
1 से 8 की कक्षा तक,
सभी शुल्क प्रतिबंधित हैं,
बाल अधिकार के हर शब्द में,
बच्चों का हित ही हित है।
आउट ऑफ स्कूल बच्चों को,
शिक्षा का अधिकार मिला,
इन्हीं समस्त अधिकारों से,
उनका फूल सा चेहरा खिला।
चाहें जन्म या आयु हो कोई,
प्रमाण पत्र की नहीं बाध्यता,
इन नियमों के ज्ञान से,
बाल जीवन सफल बन जाता।
न T.C. की पड़े ज़रुरत,
न प्रवेश में कोई समस्या,
आओ प्रवेश लेते तुम जाओ,
पढ़ लिखकर कुछ बनो अवश्य।
पका-पकाया भोजन विद्यालय में,
सब्ज़ी-रोटी, दाल-चावल, तहरी,
ये स्वादिष्ट भोजन खाकर के
बन दिखाओ राष्ट्र के प्रहरी।
स्वच्छता, साफ़-सफाई का,
शिक्षक रखें पूरा ध्यान,
बालक-बालिका पृथक शौचालय
स्वच्छ पेयजल, स्वस्थ नौनिहाल।
इतने प्यारे नन्हें बालक,
नहीं दंड का कोई विधान,
शारीरिक-मानसिक कष्ट न पहुँचे
बच्चे होते फूल समान।
ड्रेस, किताबें, जूते, मोज़े
स्वेटर भी मिलते सर्दी में,
स्वास्थ्य का भी ध्यान रखें हम,
दवाइयों की खुराक मुफ्त में।
जाति, धर्म, लिंग भेद नहीं है,
सभी हैं बच्चे एक समान,
दुर्व्यवहार रहित वातावरण,
पाते बच्चे देश प्रेम का ज्ञान।
इतने सब अवसर मिलने पर,
बच्चे आगे बढ़ते जाएँ,
गली, मोहल्ले, देश विदेश में,
सफलता का परचम लहरायें।

रचयिता
पूजा सचान,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय मसेनी(बालक) अंग्रेजी माध्यम,
विकास खण्ड-बढ़पुर,
जनपद-फर्रुखाबाद।

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