आज सुखद विज्ञान दिवस है

मना रहा धरती का जन-जन
आज सुखद विज्ञान दिवस है
आओ! मिलकर करें स्वागतम्
आज सुखद विज्ञान दिवस है

अवनी से लेकर अम्बर तक
इसका सहज प्रसार हुआ है
इसके बल से मानव की प्रज्ञा
का भी अति विस्तार हुआ है
सारे संसाधन मुट्ठी में
सुलभ सभी संचार हुआ है
दिग-दिगंत की मिटी दूरियाँ
कोई नहीं विवश है
मना रहा धरती का जन-जन
आज सुखद विज्ञान दिवस है

वैज्ञानिक अन्वेषण से ही
रुके काम सब पूर्ण हुए हैं
आज गर्व से कह सकते हैं
सारे सपने पूर्ण हुए हैं
 यह वैज्ञानिक मानव अब
तो प्रकृति से भी होड़ कर रहा
नूतन नव्य प्रयोंगों से वो मनचाही घुड़दौड़ कर रहा
सारे  भू मण्डल पर इसने
फैलाया अपना यश है
मुक्त हृदय से करो स्वागतम
आज सुखद विज्ञान दिवस है

सूरज-चाँद, सितारे सारे
सब कुछ अपनी मुट्ठी में
जो सपने देखे थे सारे
वे सब हैं अपनी मुट्ठी में
इसके कारण ही सारा भूमण्डल
बन गया हमारा घर है
मंगल-बुध सिन्धु व्योम तक
फैले मानव के कर हैं
आओ! मिलकर करें स्वागतम्
आज सुखद विज्ञान दिवस है

रचयिता
डॉ0 प्रवीणा दीक्षित,
हिन्दी शिक्षिका,
के.जी.बी.वी. नगर क्षेत्र,
जनपद-कासगंज।

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