दर्द भरा है हृदयों में
दर्द भरा है हृदयों में,
लिखूँ मैं क्या, है कलम स्तब्ध
कायरता लिखूँ उस गीदड़ की,
सिसक रहे हैं आज शब्द।
आँखों के आँसू रोकें कैसे,
खून हृदय का खौल रहा
जाबांज अमर सपूतों के
पीठ में खंजर भोंक रहा।
आखिर कब तक बहेगा यूँ,
निर्दोष जवानों का ये रक्त
अवसर है देना होगा
पाक को उत्तर सशक्त।
बातों और निंदा से न अब
देश का कोई भला होगा
सत्ता में रहने वालों को
निर्णय कड़ा लेना होगा।
जीवन की नई कहानी लिख
शहीद अमर हो गए
रोई धरती रोये अम्बर
माँ से विलग सुत हो गए।
आतंकवाद को पनाह देने वाले
जहन्नुम भी तुझे न मिले
ऐसे गायब हो नक्शे से
पाकिस्तान ढूँढे न मिले।
रचयिता
लिखूँ मैं क्या, है कलम स्तब्ध
कायरता लिखूँ उस गीदड़ की,
सिसक रहे हैं आज शब्द।
आँखों के आँसू रोकें कैसे,
खून हृदय का खौल रहा
जाबांज अमर सपूतों के
पीठ में खंजर भोंक रहा।
आखिर कब तक बहेगा यूँ,
निर्दोष जवानों का ये रक्त
अवसर है देना होगा
पाक को उत्तर सशक्त।
बातों और निंदा से न अब
देश का कोई भला होगा
सत्ता में रहने वालों को
निर्णय कड़ा लेना होगा।
जीवन की नई कहानी लिख
शहीद अमर हो गए
रोई धरती रोये अम्बर
माँ से विलग सुत हो गए।
आतंकवाद को पनाह देने वाले
जहन्नुम भी तुझे न मिले
ऐसे गायब हो नक्शे से
पाकिस्तान ढूँढे न मिले।
रचयिता
गीता गुप्ता "मन"
प्राथमिक विद्यालय मढ़िया फकीरन,
विकास क्षेत्र - बावन,
नमध वीर सपूतों को
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