शिक्षा है नदी सदा नीरा
शिक्षा है नदी सदा नीरा।
डूबे जिसमें माणिक हीरा।।
शिक्षा जीवन का सौरभ है।
शिक्षा से बढ़ता गौरव है।।
जननी सी मार्गदर्शिका है।
शिक्षा तो स्वयं शिक्षिका है।।
शिक्षा जन का पोषण करती है।
शिक्षा जीवन का तम हरती है।
शिक्षा दुखों को कम करती हैं।
शिक्षा मानव में दम भरती है।।
लाखों ही गुण हैं शिक्षा में।
सारे सद्गुण हैं शिक्षा में।।
जीवन में खुशियांँ लाती है।
शिक्षा दुख से टकराती है।।
मन को निर्भीक बनाती है ।
आशा के कमल खिलाती है।।
शिक्षा तो मधुर रागिनी है।
शिक्षा तो मधुर चाँदनी है।।
शिक्षा रचती है नयी सृष्टि।
शिक्षा देती है नयन दृष्टि।।
शिक्षित बनें महान बनें।
अपने भारत की शान बनें।।
बेटियाँ बढ़ें बेटियाँ पढ़ें।
उन्नति का अंतिम शिखर चढ़ें।।
हम सबकी यहाँ कामना है।
आशीषों भरी भावना है।।
डूबे जिसमें माणिक हीरा।।
शिक्षा जीवन का सौरभ है।
शिक्षा से बढ़ता गौरव है।।
जननी सी मार्गदर्शिका है।
शिक्षा तो स्वयं शिक्षिका है।।
शिक्षा जन का पोषण करती है।
शिक्षा जीवन का तम हरती है।
शिक्षा दुखों को कम करती हैं।
शिक्षा मानव में दम भरती है।।
लाखों ही गुण हैं शिक्षा में।
सारे सद्गुण हैं शिक्षा में।।
जीवन में खुशियांँ लाती है।
शिक्षा दुख से टकराती है।।
मन को निर्भीक बनाती है ।
आशा के कमल खिलाती है।।
शिक्षा तो मधुर रागिनी है।
शिक्षा तो मधुर चाँदनी है।।
शिक्षा रचती है नयी सृष्टि।
शिक्षा देती है नयन दृष्टि।।
शिक्षित बनें महान बनें।
अपने भारत की शान बनें।।
बेटियाँ बढ़ें बेटियाँ पढ़ें।
उन्नति का अंतिम शिखर चढ़ें।।
हम सबकी यहाँ कामना है।
आशीषों भरी भावना है।।
रचयिता
डॉ0 प्रवीणा दीक्षित,
हिन्दी शिक्षिका,
के.जी.बी.वी. नगर क्षेत्र,
सुन्दर व प्रेरणादायक
ReplyDeleteरीता गुप्ता