पौधों में पोषण पहचानो
आओ बच्चों तुम सब जानो,
पौधों में पोषण पहचानो।
अपना भोजन जो स्वयं बनाते,
वो ही स्वपोषी कहलाते।
कार्बन डाई ऑक्साइड, जल सूर्य का प्रकाश,
हरी पत्तियों से क्लोरोफिल की आस।
जब ये सब साथ मिल जाते,
ग्लूकोज और प्राणवायु बनाते।
जो दूसरों पे निर्भर रहते,
उन्को हम परपोषी कहते।
परपोषी के चार प्रकार,
इनको तुम सब कर लो याद।
अमरबेल परजीवी होता,
जो जीवित पौधों में रहता।
उसी से फिर वो पोषण लेता,
ऐसे अपना जीवन जीता।
मृतोपजीवी कहलाता कुकुरमुत्ता,
सड़े-गले पौधों में उगता।
साथ हो दो पौधे बिन नुकसान,
कहाते सहजीवी तुम लो जान।
शैवाल कवक का मिलकर काम,
दिलाता इसे लाइकेन का नाम।
कुछ पौधे होते डरावने,
कीटों को बस ख़ाना जाने।
नेपेन्थीज, ड्रोसेरा और घटपर्णी,
नाइट्रोजन की कमी है पूरी करनी।
छोड़ेंगे न कोई काम अधूरा,
पौधों में पोषण हुआ अब पूरा।
रचयिता
गीता यादव,
प्रधानाध्यपिका,
प्राथमिक विद्यालय मुरारपुर,
विकास खण्ड-देवमई,
जनपद-फ़तेहपुर।
पौधों में पोषण पहचानो।
अपना भोजन जो स्वयं बनाते,
वो ही स्वपोषी कहलाते।
कार्बन डाई ऑक्साइड, जल सूर्य का प्रकाश,
हरी पत्तियों से क्लोरोफिल की आस।
जब ये सब साथ मिल जाते,
ग्लूकोज और प्राणवायु बनाते।
जो दूसरों पे निर्भर रहते,
उन्को हम परपोषी कहते।
परपोषी के चार प्रकार,
इनको तुम सब कर लो याद।
अमरबेल परजीवी होता,
जो जीवित पौधों में रहता।
उसी से फिर वो पोषण लेता,
ऐसे अपना जीवन जीता।
मृतोपजीवी कहलाता कुकुरमुत्ता,
सड़े-गले पौधों में उगता।
साथ हो दो पौधे बिन नुकसान,
कहाते सहजीवी तुम लो जान।
शैवाल कवक का मिलकर काम,
दिलाता इसे लाइकेन का नाम।
कुछ पौधे होते डरावने,
कीटों को बस ख़ाना जाने।
नेपेन्थीज, ड्रोसेरा और घटपर्णी,
नाइट्रोजन की कमी है पूरी करनी।
छोड़ेंगे न कोई काम अधूरा,
पौधों में पोषण हुआ अब पूरा।
रचयिता
गीता यादव,
प्रधानाध्यपिका,
प्राथमिक विद्यालय मुरारपुर,
विकास खण्ड-देवमई,
जनपद-फ़तेहपुर।
Comments
Post a Comment