पर्णहरिम(क्लोरोफिल) और पौधे का भोजन
एक पेड़ जो देखा रस्ते,
बहुत गिरे थे उसके पत्ते।
हरे-भरे से ऊपर-ऊपर,
पीले आते नीचे गिरकर।
लाया रखकर उनको बस्ते।
एक पेड़ जो देखा रस्ते।
पीले पात हुए हैं कैसे?
नहीं रहे हैं पहले जैसे।
ध्यान से सुनिए और समझिए,
ज्ञान और विज्ञान समझिए।
पर्णहरिम जब तक रहता,
हरा-भरा ये तब तक रहता।
भरा पेड़ के पत्ते-पत्ते।
एक पेड़ जो देखा रस्ते।
जड़ ने जल पहुँचाया है,
तत्व खनिज के लाया है।
सूरज की जब धूप निकलती,
क्रिया अनोखी होती रहती।
पेड़ को भोजन देते पत्ते।
पौधे जिससे बढ़ते रहते।
एक पेड़ जो देखा रस्ते।
जैसे पत्ते हुए पुराने,
पीले-पीले हुए पुराने।
हरे में होता पर्णहरिम,
बड़ा रसीला पर्णहरिम।
हैं हरे-भरे सब पत्ते।
एक पेड़ जो देखा रस्ते।
रचयिता
सतीश चन्द्र "कौशिक"
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय अकबापुर,
विकास क्षेत्र-पहला,
जनपद -सीतापुर।
बहुत गिरे थे उसके पत्ते।
हरे-भरे से ऊपर-ऊपर,
पीले आते नीचे गिरकर।
लाया रखकर उनको बस्ते।
एक पेड़ जो देखा रस्ते।
पीले पात हुए हैं कैसे?
नहीं रहे हैं पहले जैसे।
ध्यान से सुनिए और समझिए,
ज्ञान और विज्ञान समझिए।
पर्णहरिम जब तक रहता,
हरा-भरा ये तब तक रहता।
भरा पेड़ के पत्ते-पत्ते।
एक पेड़ जो देखा रस्ते।
जड़ ने जल पहुँचाया है,
तत्व खनिज के लाया है।
सूरज की जब धूप निकलती,
क्रिया अनोखी होती रहती।
पेड़ को भोजन देते पत्ते।
पौधे जिससे बढ़ते रहते।
एक पेड़ जो देखा रस्ते।
जैसे पत्ते हुए पुराने,
पीले-पीले हुए पुराने।
हरे में होता पर्णहरिम,
बड़ा रसीला पर्णहरिम।
हैं हरे-भरे सब पत्ते।
एक पेड़ जो देखा रस्ते।
रचयिता
सतीश चन्द्र "कौशिक"
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय अकबापुर,
विकास क्षेत्र-पहला,
जनपद -सीतापुर।
ज्ञानवर्धक काव्य रचना
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