प्यासा बुद्धिमान कौआ
गर्मी भयंकर पड़ने लगी,
कौए को थी प्यास लगी।
प्यासा कौआ घूम-घूमकर,
थक गया पानी ढूंढ-ढूंढकर।
कौए ने देखा इधर-उधर,
घड़े में पानी आया नजर।
घड़े में पानी कम सा था,
गला प्यास से सूखा था,
मौसम एकदम रुखा था।
कौए ने फिर दिमाग लगाया,
एकदम उसको आईडिया आया।
सामने पड़ी थी कंकर,
डाली घड़े के अंदर।
पानी ऊपर चढ़ने लगा,
दिल खुशी से भरने लगा।
पानी पीकर प्यास बुझाई,
कौए ने फिर उड़ान लगाई।
तुम भी बच्चों दिमाग लगाओ,
हर समस्या का हल पाओ।
रचयिता
नीतिका सिंह,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय पहाड़पुर हवेली,
विकास खण्ड-शिकारपुर,
जिला-बुलंदशहर।
कौए को थी प्यास लगी।
प्यासा कौआ घूम-घूमकर,
थक गया पानी ढूंढ-ढूंढकर।
कौए ने देखा इधर-उधर,
घड़े में पानी आया नजर।
घड़े में पानी कम सा था,
गला प्यास से सूखा था,
मौसम एकदम रुखा था।
कौए ने फिर दिमाग लगाया,
एकदम उसको आईडिया आया।
सामने पड़ी थी कंकर,
डाली घड़े के अंदर।
पानी ऊपर चढ़ने लगा,
दिल खुशी से भरने लगा।
पानी पीकर प्यास बुझाई,
कौए ने फिर उड़ान लगाई।
तुम भी बच्चों दिमाग लगाओ,
हर समस्या का हल पाओ।
रचयिता
नीतिका सिंह,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय पहाड़पुर हवेली,
विकास खण्ड-शिकारपुर,
जिला-बुलंदशहर।
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