जय गणतंत्र भारत

हम एक नहीं होंगे तो, यह देश कहाँ होगा?
भाईचारे का, दुनिया में सन्देश कहाँ होगा?
शिक्षक ही किया करते हैं, निर्माण राष्ट्र का,
वो प्यार सिखाएँगे तो फिर द्वेष कहाँ होगा?

हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई यहाँ प्रेम से रहते हैं,
सब मिलकर, भारत को प्यारा वतन जो कहते हैं।
प्यार से मिलकर रहना ही तो, पहचान हमारी है,
बिना इसके हमारा भारत, भारत देश कहाँ होगा?

दूर-दूर तक फैली, यहाँ के मैदानों में हरियाली है,
पर्वतों और पठारों की, यहाँ बात ही निराली है।
हर तरह की आज़ादी, यहाँ हर तरह खुशहाली है,
निश्चय ही पूरी दुनिया में, ऐसा देश कहाँ होगा?

गंगा, यमुना, सतलुज, सिंधु नदियाँ यहाँ बहती हैं,
पीने के लिये हम सबको, मीठा जल ये देती हैं।
करती हैं पोषण, ये सब प्यारी भारत भूमि का ,
बिना इनके यह भारत, समृद्ध देश कहाँ होगा?

हम एक नहीं होंगे तो, यह देश कहाँ होगा?
भाईचारे का दुनिया में, सन्देश कहाँ होगा?

आप सबको गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
 जय हिन्द, जय शिक्षक

रचयिता
प्रदीप कुमार,
सहायक अध्यापक,
जूनियर हाईस्कूल बलिया-बहापुर,
विकास खण्ड-ठाकुरद्वारा,
जनपद-मुरादाबाद।

विज्ञान सह-समन्वयक,
विकास खण्ड-ठाकुरद्वारा।

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