श्रद्धांजलि

तूने क्यों प्रहार किया,
छुपके क्यों वार किया।
हिम्मत है तो सामने आ,
यूँ ना कायरों जैसा काम दिखा।

भारत माँ की रक्षा की,
ऐसा भी क्या कुसूर किया।
क्यों तूने निर्दोषों को,
मौत के घाट उतार दिया।

कितनी माँ के बेटे,
कितनी बहनों के भाई।
किसी के बुढ़ापे का सहारा,
तूने क्यों छीन लिया।

अपने देश की सेवा,
अपराध कब से बन गया।
इतना भयंकर मंजर ,
जो तुमने दिखा दिया।

तू क्या सोच रहा,
ये प्रहार नौजवानों पर किया।
नहीं तू गलत सोच रहा,
प्रहार भारत माँ पर किया।

क्या तेरा कोई ईमान नहीं,
क्या तू एक इंसान नहीं।
जो इंसान होकर इंसान को,
बेदर्दी  से मार रहा।

तेरा भी परिवार होगा,
तू भी किसी का बेटा होगा।
क्या उनको कोई दर्द न होगा,
जब तेरा भी अंत होगा।

हमारी फ़ौज की शहादत,
अब न जाया होगी।
लेकर रहेंगे बदला हम,
तब यह ज्वाला शांत होगी।

अब न कोई वार होगा,
न कोई संहार होगा।
मिलकर कसम खाएँ हम,
आतंकवाद का अंत होगा।

मिलकर कदम बढ़ाना है,
साथ एक दूजे का देना है।
भारत की रक्षा करने को,
आतंकवाद को मिटाना है।

वीर सपूत देश के,
खिलाया जिन्होंने चमन।
पुलवामा में कुर्बान हुए,
शहीदों को शत शत नमन।

रचयिता
रीना सैनी,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय गिदहा,
विकास खण्ड-सदर,
जनपद -महाराजगंज।

Comments

  1. वीर सैनिकों की शहादत को कोटि कोटि नमन

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  2. Pulwama me shahid huye sabhi veer sipahiyon ko mera sat sat naman..,

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