शिक्षा वरद विशेषहिं

शिक्षा सुखद विशेष है,
      शिक्षा परम विकास।
ज्ञान प्रभा चिन्मय जरै,
       होवे आत्म प्रकाश।।(१)
करि प्रयत्न शुभ पाइए,
       शिक्षा मणि मोती हार।
धारित जीवन खिल उठत,
        बरसत सुधा फुहार।।(२)
शिक्षा विद्या वरद विशाला।
नानाविधि सुख हैं संसारा।।
करहिं प्राप्त जे शिक्षा जोती।
चमकै जीवन जैसन मोती।।
संस्कार शुभ पद अधिकारा।
पावहिं जीवन सुख की धारा।।
जे अज्ञानी मतिमंद अभागी।
शिक्षा सुरुचि कबहुँ न जागी।
शिक्षा गुण के भरति खजाना।
सभ्य सुशील बनाये सुजाना।।
शिक्षा जननी तौ सुख बहुतेरे।
ज्ञानी जग के आत्म सुखेरे।।
करत बखान ज्ञान अध्येता।
जानहिं विधि विधि के वेत्ता।।
अतल ज्ञान की धार बहावैं।
दीप सरिस उजियार बढ़ावैं।।
सीखहिं शास्त्र अनेक अपारा।
काटहिं बंधन तम की कारा।।
भरहिं विचार सृजन सुखदाई।
खोजहिं सफल सूत्र वरदाई।।
वैज्ञानिक नव अन्वेष सृजन्ता।
नव तकनीकि देत अभियन्ता।
विविध नवल सिद्धांत विवेचन।
करत मनीषी नित निरदेशन।।
मानव सुख के साधन जितने।
शिक्षा मूल सबहिं के सपने।।
करहिं सभ्यता शुचि संशोधन।
भरहिं विचार शुद्धि परिवर्धन।।
नीति न्याय नित पंथ नवीना।
सृजहिं सुशिक्षित विज्ञ प्रवीना।
स्थापँय नित नूतन आधारा।
करहिं नवीन विचार सुधारा।।
शिक्षा परम तत्व जे जानत।
सत्य आत्म के वैभव पावत।।
जीवन मग ज्योतित रहे,
    विमल ज्ञान उजियार।
शिक्षा-विद्या अर्जित करो,
    जीवन पथ संसार।

रचयिता
सतीश चन्द्र "कौशिक"
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय अकबापुर,
विकास क्षेत्र-पहला, 
जनपद -सीतापुर।

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