ऋतुराज बसंत

ऋतुराज  बसंत  तेरे आने से,
पल में पतझड़ का  हुआ अन्त।
कलियाँ  महक  बिखेर  रही  चहुँदिश,
पवन  बहे  स्वच्छंद।
ऋतुराज  बसंत  तेरे..................

चिड़ियाँ  चहक  उठीं  पेड़ों  पर,
कलरव  की  छेडें  तान,
मोर  मगन  मस्त  हो  नाचें,
भाये  बसंती  शाम।
ऋतुराज  बसंत  तेरे...................

भंवरा  मकरंद  ले  फूलों पर,
कोयल  कूके  मधुर  गान।
हरियाली  छायी वन  उपवन,
रंग-बिरंगी  आँगन  की शान।
ऋतुराज बसंत  तेरे.................

खेतों में  चहुँओर  हरियाली,
पीली  सरसों  की  कलियाँ  हैं  आयी।
गेहूँ, चना, मटर  की  फलियांँ,
धनिया  से  महकी है  क्यारी।
ऋतुराज  बसंत  तेरे.............

आमों पर बौर लग  गये,
बेरों  से  लदी  हैं डाली।
बेलों में  नये  फूल  आ गये,
पंखुड़ियों  से  है  लालिमा  छायी ।
ऋतुराज बसंत  तेरे ...................

धरा  बनी  है  नवेली  दुल्हन,
लौकिक  छटा  निहारे  अम्बर।
अनुपम सौंदर्य धरा  का  देखकर,
ऋतुरानी  भी धरातल पर  आयी।

ऋतुराज  बसंत  तेरे  आने  से,
मधुर  हुआ  सब  दिग्  दिगंत।
      
रचयिता
बिधु सिंह, 
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय गढी़ चौखण्ड़ी, 
विकास खण्ड-बिसरख,               
जनपद-गौतमबुद्धनगर।

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