एक शाम शहीदों के नाम
आज पिता हिमालय रोया है
धरती माँ की छाती दहल गई
रक्त शिखर पर बहता है
सरहद की राह भी ठहर गई
भाई का कन्धा टूट गया
बहना की राखी रुठ गई
मेहन्दी वाले हाथों की
महावर, बिंदिया छूट गई
माँ हृदय विदेहित होती है
गौरव से गाथा कहती है
बलिदानी वह लाल अमर है
जो देश की खातिर शहीद हुए
शहाद्त अमर-जवानों की
कभी न खाली जाएगी
आज के दिन को भारत माता
इतिहास में दोहराएगी!!
शहीदों को शत-शत नमन
रचयिता
श्रीमती ममता जयंत,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय चौड़ा सहादतपुर,
विकास खण्ड-बिसरख,
जनपद-गौतमबुद्धनगर।
धरती माँ की छाती दहल गई
रक्त शिखर पर बहता है
सरहद की राह भी ठहर गई
भाई का कन्धा टूट गया
बहना की राखी रुठ गई
मेहन्दी वाले हाथों की
महावर, बिंदिया छूट गई
माँ हृदय विदेहित होती है
गौरव से गाथा कहती है
बलिदानी वह लाल अमर है
जो देश की खातिर शहीद हुए
शहाद्त अमर-जवानों की
कभी न खाली जाएगी
आज के दिन को भारत माता
इतिहास में दोहराएगी!!
शहीदों को शत-शत नमन
रचयिता
श्रीमती ममता जयंत,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय चौड़ा सहादतपुर,
विकास खण्ड-बिसरख,
जनपद-गौतमबुद्धनगर।
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