२९६~ रूपाली श्रीवास्तव (प्र०अ०) प्रा० वि० फरीदपुर सलेम, चायल, कौशाम्बी
🏅अनमोल रत्न🏅
मित्रों आज हम आपका परिचय मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से जनपद कौशाम्बी से बेसिक शिक्षा की अनमोल रत्न बहन रूपाली श्रीवास्तव जी से करा रहे हैं। जिन्होंने अपनी सकारात्मक सोच एवं प्रेरक पैतृक संस्कारों की शक्ति से हम सभी के आदर्श महापुरुष स्वामी विवेकानन्द जी के संदेश "उठो, जागो, लक्ष्य के लिए आगे बढ़ो" को प्रमाणित करते हुए 135 छात्रों वाले विद्यालय को 301 की संख्या तक पहुँचा दिया। जो हम सभी के लिए प्रेरक और अनुकरणीय है। ऐसे आदर्श शिक्षक जीवन चरित्र को हम मिशन परिवार की ओर से बार-बार प्रणाम करते हैं।
आइये देखते हैं विद्यालय परिवार द्वारा किए गये कुछ सकारात्मक प्रयासों को:-
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=2261933157417602&id=1598220847122173
मैं रूपाली श्रीवास्तव वर्तमान में प्रा० वि० फरीदपुर सलेम चायल कौशाम्बी में प्र०अ० के पद पर कार्यरत हूँ।
👉मेरी प्रथम नियुक्ति फ़रवरी 2009 की है। प्रशिक्षण काल के दौरान जब मुझे प्राथमिक के बच्चों से मिलने उन्हें पढ़ाने का अवसर मिला और ग्रामीण जनजीवन तथा उनकी कठिनाइयों को समझने का अवसर मिला तब मुझे लगा कि यह सिर्फ जॉब नही है यहाँ और भी बहुत कुछ करने की आवश्यकता है।
👉सहायक अध्यापक के तौर पर मैंने विषयगत अध्यापन, खेलकूद, क्रियात्मक शिक्षण किया। तदुपरांत 2013 में प्र०अ० के पद पर नियुक्त होने पर जब ये स्थिति हुई कि सब मुझे ही करना है.........और
ये कि उठो रूपाली! "तुम नहीं करोगी तो और कौन करेगा?"....इन बच्चों के लिए ही करना है।।
ये मेरे पापा के शब्द होते हैं।
जब भी रूकती हूँ, नकारात्मक होती हूँ वो आगे पुश करते हैं.....
शायद कुछ यादें उनके बचपन की।।
👉इस विद्यालय में ज्वाइन करने पर यहाँ का माहौल शिक्षण करने लायक नहीं था। विद्यालय परिसर में मल मूत्र गंदगी, यहाँ तक कि मरे हुए जानवर तक फेंक जाते थे।
फिर नियमित व समयानुसार विद्यालय चलने व सफाई करवाते रहने से धीरे-धीरे ग्रामीणों में अवधारणा बदली।
लोगों में सम्मान की भावना एवं विश्वास जगा।
घर-घर सम्पर्क, अभिभावक मीटिंग, छात्र क्रियाकलाप, सांस्कृतिक कार्यक्रमों के उत्कृष्ट आयोजनों से विद्यालय की स्थिति में बदलाव आया।
👉मैंने और स्टाफ के सहयोग से रैली नवाचार प्रदर्शनी, शैक्षिक मेले आदि में प्रतिभाग किया जिसके चलते विद्यालय के प्रति ग्रामीणों में सम्मान जगा।
👉ज्वाइनिंग के समय 135 नामांकन थे लेकिन 2017-18 में 228 नामांकन एवं 2018-19 में 301 छात्रों का नामांकन हुआ।।
👉भविष्य में मेरा प्रयास यही रहेगा कि छात्रों का शारीरिक, नैतिक, मानसिक विकास भी कर सकूँ सिर्फ शैक्षिक स्तर पर आगे बढ़ाना ही मेरा उद्देश्य नहीं है।
👉मेरे अब तक के इन प्रयासों को 2 बार जिलाधिकारी महोदय जी ने एवं 1 बार डायट प्राचार्य जी ने प्रशस्ति पत्र देकर सराहा है!!
👉जब भी इन ग्रामीणों के मध्य होती हूँ तो सोचती हूँ कि कुछ ज्यादा कर सकूँ , कुछ तो कर सकूँ उनके सहयोग के लिए!!!
साभार: रूपाली श्रीवास्तव (प्र०अ०)
प्रा०वि० फरीदपुर सलेम, चायल, कौशाम्बी। टीम मिशन शिक्षण संवाद कौशाम्बी
संकलन: दीप नारायण मिश्र
मिशन शिक्षण संवाद कौशाम्बी
👉नोट:- आप अपने मिशन परिवार में शामिल होने, आदर्श विद्यालय का विवरण भेजने तथा सहयोग व सुझाव को अपने जनपद सहयोगियों को अथवा मिशन शिक्षण संवाद के वाट्सअप नम्बर-9458278429 और ई-मेल shikshansamvad@gmail.com पर भेज सकते हैं।
निवेदक: विमल कुमार
01-02-2019
मित्रों आज हम आपका परिचय मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से जनपद कौशाम्बी से बेसिक शिक्षा की अनमोल रत्न बहन रूपाली श्रीवास्तव जी से करा रहे हैं। जिन्होंने अपनी सकारात्मक सोच एवं प्रेरक पैतृक संस्कारों की शक्ति से हम सभी के आदर्श महापुरुष स्वामी विवेकानन्द जी के संदेश "उठो, जागो, लक्ष्य के लिए आगे बढ़ो" को प्रमाणित करते हुए 135 छात्रों वाले विद्यालय को 301 की संख्या तक पहुँचा दिया। जो हम सभी के लिए प्रेरक और अनुकरणीय है। ऐसे आदर्श शिक्षक जीवन चरित्र को हम मिशन परिवार की ओर से बार-बार प्रणाम करते हैं।
आइये देखते हैं विद्यालय परिवार द्वारा किए गये कुछ सकारात्मक प्रयासों को:-
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=2261933157417602&id=1598220847122173
मैं रूपाली श्रीवास्तव वर्तमान में प्रा० वि० फरीदपुर सलेम चायल कौशाम्बी में प्र०अ० के पद पर कार्यरत हूँ।
👉मेरी प्रथम नियुक्ति फ़रवरी 2009 की है। प्रशिक्षण काल के दौरान जब मुझे प्राथमिक के बच्चों से मिलने उन्हें पढ़ाने का अवसर मिला और ग्रामीण जनजीवन तथा उनकी कठिनाइयों को समझने का अवसर मिला तब मुझे लगा कि यह सिर्फ जॉब नही है यहाँ और भी बहुत कुछ करने की आवश्यकता है।
👉सहायक अध्यापक के तौर पर मैंने विषयगत अध्यापन, खेलकूद, क्रियात्मक शिक्षण किया। तदुपरांत 2013 में प्र०अ० के पद पर नियुक्त होने पर जब ये स्थिति हुई कि सब मुझे ही करना है.........और
ये कि उठो रूपाली! "तुम नहीं करोगी तो और कौन करेगा?"....इन बच्चों के लिए ही करना है।।
ये मेरे पापा के शब्द होते हैं।
जब भी रूकती हूँ, नकारात्मक होती हूँ वो आगे पुश करते हैं.....
शायद कुछ यादें उनके बचपन की।।
👉इस विद्यालय में ज्वाइन करने पर यहाँ का माहौल शिक्षण करने लायक नहीं था। विद्यालय परिसर में मल मूत्र गंदगी, यहाँ तक कि मरे हुए जानवर तक फेंक जाते थे।
फिर नियमित व समयानुसार विद्यालय चलने व सफाई करवाते रहने से धीरे-धीरे ग्रामीणों में अवधारणा बदली।
लोगों में सम्मान की भावना एवं विश्वास जगा।
घर-घर सम्पर्क, अभिभावक मीटिंग, छात्र क्रियाकलाप, सांस्कृतिक कार्यक्रमों के उत्कृष्ट आयोजनों से विद्यालय की स्थिति में बदलाव आया।
👉मैंने और स्टाफ के सहयोग से रैली नवाचार प्रदर्शनी, शैक्षिक मेले आदि में प्रतिभाग किया जिसके चलते विद्यालय के प्रति ग्रामीणों में सम्मान जगा।
👉ज्वाइनिंग के समय 135 नामांकन थे लेकिन 2017-18 में 228 नामांकन एवं 2018-19 में 301 छात्रों का नामांकन हुआ।।
👉भविष्य में मेरा प्रयास यही रहेगा कि छात्रों का शारीरिक, नैतिक, मानसिक विकास भी कर सकूँ सिर्फ शैक्षिक स्तर पर आगे बढ़ाना ही मेरा उद्देश्य नहीं है।
👉मेरे अब तक के इन प्रयासों को 2 बार जिलाधिकारी महोदय जी ने एवं 1 बार डायट प्राचार्य जी ने प्रशस्ति पत्र देकर सराहा है!!
👉जब भी इन ग्रामीणों के मध्य होती हूँ तो सोचती हूँ कि कुछ ज्यादा कर सकूँ , कुछ तो कर सकूँ उनके सहयोग के लिए!!!
साभार: रूपाली श्रीवास्तव (प्र०अ०)
प्रा०वि० फरीदपुर सलेम, चायल, कौशाम्बी। टीम मिशन शिक्षण संवाद कौशाम्बी
संकलन: दीप नारायण मिश्र
मिशन शिक्षण संवाद कौशाम्बी
👉नोट:- आप अपने मिशन परिवार में शामिल होने, आदर्श विद्यालय का विवरण भेजने तथा सहयोग व सुझाव को अपने जनपद सहयोगियों को अथवा मिशन शिक्षण संवाद के वाट्सअप नम्बर-9458278429 और ई-मेल shikshansamvad@gmail.com पर भेज सकते हैं।
निवेदक: विमल कुमार
01-02-2019
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