सुमित्रा नन्दन पंत

सर्वप्रथम अभिनन्दन करता 

               हिन्दी काव्यादर्शी का,

सरस्वती-गंगा की संतान 

            भावों के मर्म स्पर्शी का।


बीस मई उन्नीस सौ में 

            सुमित्रा नन्दन पंत हुए, 

अल्मोड़ा के कौसानी में 

            हिन्दी के वे सन्त हुए। 


प्रकृति सुन्दरी दुल्हन जैसी 

          बैठी अनुपम श्रृंगार किये,

स्वागत करतीं नदियाँ सारी 

         पर्वत फूलों का हार लिए। 


पल्लव, ग्राम्या, चिदम्बरा 

        लोकायतन और उच्छ्वास, 

कला और बूढ़ा चाँद 

           काव्य ग्रन्थ तेरे हैं खास। 


हे पद्मभूषित, ज्ञानपीठ 

     साहित्य अकादमी अलंकरण,

श्रद्धा सुमन समर्पित करता 

       तेरे शुभकारी दिन अवतरण। 


हे छायावाद के उन्नायक 

         हे उच्चकोटि के महाकवि, 

कोटि-कोटि नमन तुझको 

        हे प्रकृति के सुकुमार कवि।


रचयिता
डॉ० प्रभुनाथ गुप्त 'विवश',
सहायक अध्यापक, 
पूर्व माध्यमिक विद्यालय बेलवा खुर्द, 
विकास खण्ड-लक्ष्मीपुर, 
जनपद-महराजगंज।

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