99/2024, बाल कहानी - 24 मई
बाल कहानी- छुट्टियाँ
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टीना और मीना दो बहनें थी। टीना कक्षा सात और मीना कक्षा आठ की विद्यार्थी थी। दोनों एक ही स्कूल में पढ़ती थीं। मीना का मन पढ़ाई में लगता था जबकि टीना का मन खेल-कूद और घूमने में लगता था।
आज टीना बहुत खुश थी क्योंकि आज गर्मियों की छुट्टियाँ शुरू हुई थीं। टीना मन ही मन बहुत खुश थी क्योंकि उसे पता था कि माँ छुट्टियों में हर साल हम सब को साथ लेकर नानी के घर जाती है।
वह घर पहुँचते ही "माँ.. माँ! आप कहाँ हो?" कहकर जोर जोर से आवाज लगाने लगी। जब टीना ने देखा कि माँ नानी के घर जाने की तैयारी कर रही है तो टीना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
वह माँ द्वारा रखे जा रहे झोले में अपने भी नये-नये कपड़े रखने लगी।
मीना से माँ ने कहा-, "बिटिया! तुम्हें भी कुछ रखना हो, तो रख लो। झोला भर जाने के बाद शिकायत न करना।"
मीना ने अपना स्कूल बैग रखने की इच्छा जाहिर की और टीना से कहने लगी-, "छोटी! तुम भी अपना बैग रख लो। छुट्टियों में दिया गया गृहकार्य तुम कैसे करोगी?"
टीना ने मुस्कुराते हुए कहा-, "हम जब घर वापस आयेंगे। एक दिन पहले.. तभी सारा होमवर्क एक साथ कर लेंगे। अभी तो हम नानी के यहाँ घूमने और खुशियाँ मनाने जा रहे हैं, पढ़ाई करने नहीं।"
सभी लोग नानी के वहा घूमने गये। सभी ने खूब आनन्द लिया। मीना ने भी छुट्टियों की खुशियाँ सब के साथ मनायीं, परन्तु प्रतिदिन समय निकालकर पढ़ती-लिखती भी थी और आस-पास के बच्चों का भी गृहकार्य अपने साथ बैठा कर कराती थी। ये सब देखकर मीना की नानी ने मीना को एक प्यारा सा उपहार दिया। टीना को कोई उपहार नहीं मिला। छुट्टियाँ खत्म होने के बाद टीना जब लम्बे सफर से घर गयी तो थककर सो गयी।
अगले दिन टीना और मीना विद्यालय गयीं। मीना को विद्यालय में सभी अध्यापकों से सम्मान और पुरस्कार मिला और टीना को सभी अध्यापकों से डॉट मिली। ये देखकर टीना को अपना गृहकार्य न करने पर शर्मिन्दगी महसूस हुई।
उसने घर जाकर माँ से अपनी गलती के लिए पछतावे पर चर्चा की और अपने मन की बात माँ से साझा करते हुए अपने सारे विचार व्यक्त किए।
माँ ने टीना को खूब समझाया। प्रेरणा दायक कहानी सुनायी, फिर माँ ने दोनों बच्चों को गले लगाकर प्यार किया और दोनों बच्चों को पढ़ने-लिखने के लिए प्रेरित किया।
संस्कार सन्देश-
हमें अपनी हर बात अपने अभिभावक से बतानी चाहिए और उनके द्वारा बताए गये निर्देशों का हर हाल में पालन करना चाहिए।
लेखिका-
शमा परवीन
बहराइच (उत्तर प्रदेश)
कहानी वाचक-
नीलम भदौरिया
जनपद- फतेहपुर (उ०प्र०)
✏️संकलन
📝टीम मिशन शिक्षण संवाद
नैतिक प्रभात
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