93/2024, बाल कहानी - 17 मई


बाल कहानी- आत्म समर्पण
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एक पेड़ पर एक चिड़िया का जोड़ा रहता था। दोनों के दो छोटे-छोटे बच्चे थे। दोनों अपने बच्चों को बहुत प्यार-दुलार करते थे। एक बाहर खाने के जुगाड़ में जाता तो दूसरा बच्चों की देखभाल के लिए घोंसले में रुकता। 
एक दिन चिड़िया दाना-पानी के लिए बाहर गयी थी और चिड़ा घोंसले में बच्चों के पास था। तभी उधर से एक चील उड़ती-उड़ती उसी पेड़ के ऊपर बैठ गयी। उसने चिड़ियों के बच्चों की आवाज सुनी तो उसका ध्यान उसके घोंसले की तरफ गया और उस घोंसले में चोंच मारने लगी। जैसे ही उस चिड़ा ने देखा तो वह डर गया और मदद के लिए चिल्लाने लगा, लेकिन कोई भी उसकी मदद के लिए नहीं आया। तभी अचानक उन बच्चों में से एक बच्चा घोंसला हिलने की वजह से नीचे गिर गया। अब चिड़ा चिन्ता में पड़ गया कि अगर वह नीचे जाता है तो उसकी और दूसरे बच्चे की जान को खतरा है। वह सोच ही रहा था कि तभी चिड़िया आ गयी। उसने देखा कि उसका बच्चा नीचे गिर गया है। ऊपर एक चील घोंसले के पास ताक जमाये बैठी है। चिड़िया बिना अपनी जान की परवाह किए अपने बच्चे को उठाने चली गयी और जल्दी से उसे उठा करके ले आयी। जब-तक उस चील की निगाह पड़ी, तब तक चिड़िया ने अपने बच्चे को घोंसले में रख दिया, लेकिन पीछे से चील ने चिड़िया को पकड़ लिया। बस क्या था! चिड़ा भी बाहर आ गया, जबकि चिड़िया ने इशारा भी किया कि वह बच्चों के पास जाये, लेकिन वह नहीं माना और जाकर चील से भिड़ गया। तब-तक शोरगुल सुनकर और साथी पक्षी भी आस-पास से आ गये और सबने मिलकर चील पर धावा बोल दिया। अब चील अकेले पड़ गयी और भागने लगी लेकिन अब सब पक्षियों के बीच से बचकर जाना मुश्किल था। फिर बहुत जतन करने के बाद वह जख्मी होकर भागने में सफल हो पायी।
इन सबकी झड़प में चिड़िया थोड़ी घायल हो गयी, लेकिन चिड़ा ने भी कसम खायी कि जब तक चिड़िया ठीक नहीं हो जाती, वह उसे छोड़कर कहीं नहीं जायेगा। बस! उसकी देखभाल करेगा। सभी पक्षियों ने भी वादा किया कि तब-तक वह सब उनके दाने-पानी में उनकी मदद करेंगे। ये होता है समर्पण। 

संस्कार सन्देश-
अगर हम सब एक साथ हो जाएँ तो किसी भी समस्या का समाधान कर सकते हैं।

लेखिका-
अंजनी अग्रवाल (स०अ०) 
उच्च प्राथमिक विद्यालय सेमरुआ 
सरसौल (कानपुर नगर)
कहानी वाचक
नीलम भदौरिया
जनपद- फतेहपुर

✏️संकलन
📝टीम मिशन शिक्षण संवाद
नैतिक प्रभात

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