92/2024, बाल कहानी-16 मई
बाल कहानी- असफलता की निशानी
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रुनझुन नाम के गाँव में एक किसान रहता था। उसका नाम गोपाल था। गोपाल बहुत ही मेहनती था। इस बार उसने अपने खेत में मटर बोई। मटर के लगे फूलों से खेत लहलहाने लगा। गोपाल अपने खेत को देखकर बहुत खुश हो रहा था क्योंकि इस बार उसकी फसल बहुत अच्छी हुई थी।
एक बड़ा चूहा बहुत शैतान था, जो इधर-उधर उछल-कूद मचाता रहता था। खेत के पास पेड़ के नीचे अजगर रहता था। वह बहुत आलसी था। जब उसे भूख लगती, तो वह इधर-उधर खिसकता था और फुदकते हुए चूहे की ओर मुँह फैलाता था, परन्तु आलसी होने के कारण वह चूहे को पकड़ नहीं पाता था। चूहा उसके ऊपर से उछल-कूद करके निकल जाता। आलसी अजगर शिकार को न पकड़ पाने की बजह से प्रायः भूखा ही रह जाता था। इस प्रकार वह अपने स्थान पर पड़ा रहता था। उसे जो भी अनायास मिल जाता, उसी से अपनी भूख मिटा लिया करता था। आलस के कारण वह कभी चूहे का शिकार नहीं कर पाया। वह कभी भी स्वयं मेहनत नहीं करना चाहता था और न ही शिकार के लिए कभी प्रयास करता था। वह चाहता था कि शिकार स्वयं चलकर उसके पास आये और यही उसकी सोच भी थी, जिसके कारण वह समर्थ होते हुए भी स्वयं शक्तिहीन था।
संस्कार सन्देश-
आलसी व्यक्ति कभी भी अपने उद्देश्य में सफल नहीं हो सकता।
लेखिका-
विजयलक्ष्मी (प्र०अ०)
राम० प्रा० वि० चन्द्रनगर
रामनगर, नैनीताल (उत्तराखण्ड)
कहानी वाचक
नीलम भदौरिया
जनपद- फतेहपुर
✏️संकलन
📝टीम मिशन शिक्षण संवाद
नैतिक प्रभात
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