101/2024, बाल कहानी-27 मई


बाल कहानी- पानी 
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एक दिन मोनी अपनी सहेली टोनी के साथ खेल रही थी। खेलते-खेलते मोनी को प्यास लगी। उसे पास में एक नल दिखायी दिया। नल के पास जाकर उसने टोंठी खोली। उसने खूब मुँह धोया, पानी पिया और पानी पीने के बाद फिर से खेलने लगी।
टोनी ये सब देख रही थी। 
उसने मोनी से कहा-, "लगता है, तुम टोंटी बन्द करना भूल गयी हो? खेल के चक्कर में कम से कम टोंटी तो बन्द कर देती? खेल के चक्कर में टोंटी बन्द करना भी भूल गयी। बेकार में बहुत पानी बह रहा है।"
मोनी ने कहा-, "तुम को गलतफहमी हो गयी है कि मैं जल्दी में टोंटी बन्द करना भूल गयी हूँ। ऐसा मैंने जानबूझ कर किया है।"
"पर क्यों?"
"वह इसलिए कि अभी बहुत खेलना है, फिर प्यास लगेगी। पानी जब बहता रहेगा तो ठण्डा पानी पीने को मिलेगा। मुझे भी और तुम्हें भी। समझी मेरी चतुराई?"
"ये चतुराई नहीं गन्दी आदत है। ये बहुत गलत काम है। मैं तुम्हें ये गलत काम नहीं करने दूँगी। मैं जा रही हूँ टोंटी बन्द करने। तुम मेरे साथ खेलो या न खेलो, पर ये पानी हम फिजूल बहने नहीं देंगे। पानी से ही हमारा जीवन है। हम सबको पानी की कीमत समझना चाहिए।"
इतना कहकर टोनी ने टोंटी बन्द कर दी और घर की ओर जाने लगी।
मोनी को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने तुरन्त मोनी से माफ़ी माँगी और दोबारा ऐसी गलती न करने का वादा किया, साथ ही साथ पानी बचाने का भी संकल्प लिया।
टोनी ने मोनी को माफ़ कर दिया और दोबारा दोनों खुशी-खुशी खेल खेलने लगी।

संस्कार सन्देश- 
पानी अनमोल है। हमें इसका मोल समझना होगा। व्यर्थ में पानी को बर्बाद करना बुरी बात है।

लेखिका-
शमा परवीन 
बहराइच (उत्तर प्रदेश)
कहानी वाचक
नीलम भदौरिया
जनपद- फतेहपुर 

✏️संकलन
📝टीम मिशन शिक्षण संवाद
नैतिक प्रभात

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