95/2024, बाल कहानी- 20 मई

बाल कहानी- विनती का गृहकार्य
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राम एक छोटे से गांँव में रहने वाला धैर्यवान किसान था। वह खेती करके अपने परिवार का पालन-पोषण करता था। राम की बेटी विनती अपने विद्यालय का गृहकार्य करने में अक्सर आना-कानी किया करती थी। आज का कार्य कल पर टालती और बहाने बनाती कि-, "अभी नहीं, फिर कर लूंँगी।" इसलिए उसे विद्यालय में कभी-कभी डाँट भी पड़ती।
एक दिन पिताजी के लिए विनती खेत पर खाना लेकर गयी। वहांँ उसने देखा कि उसके खेतों में हरी-भरी फसल लहलहा रही हैं और पिताजी धूप में ही निराली कर रहे हैं। विनती ने पिताजी से पूछा-, "पिताजी! यह हरे-भरे खेत कितने सुन्दर लग रहे हैं! जल्दी ही इनमें बहुत सारा अनाज होगा और तब हम धनवान बन जाएंँगे।" राम ने बेटी की जिज्ञासा को शान्त करते हुए कहा-, "हांँ, बिटिया रानी! तुम बिल्कुल सही कह रही हो, लेकिन इस हरी-भरी फसल के पीछे मैंने कड़ी मेहनत की है। महीनों पसीना बहाया है, तब जाकर यह फसल उगी है और अभी भी इस फसल को पकने में समय लगेगा। इसकी देखभाल करनी पड़ेगी, तब जाकर कहीं ये फसल पकेगी। ठीक उसी तरह जीवन में भी हमें हर काम के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। आज की गयी मेहनत हमारे कल का उज्ज्वल भविष्य बनाती है। तुम अक्सर अपना गृहकार्य करने में टालमटोल करती हो इसलिए तो मैं तुम्हें कहता हूंँ कि यदि समय पर अपना काम पूरा करोगी तो आगे चलकर तुम भी एक सफल नागरिक बनोगी, क्योंकि कड़ी मेहनत ही जीवन की सफलता का रहस्य है।"
बात अब विनती की समझ में आ चुकी थी। उसने मन में तय किया कि अब वह कभी भी अपना काम कल पर नहीं टालेगी और समय पर काम समाप्त करेगी। वह बहुत मेहनत से मन लगाकर पढ़ाई करेगी। घर जाकर विनती आज का गृहकार्य पूरा करने बैठ गयी।

संस्कार सन्देश-
धैर्य, तत्परता और समय पर काम करने की अच्छी आदतें हर काम में सफलता दिलाती हैं।

लेखिका-
शिखा वर्मा (इं०प्र०अ०)
उ० प्रा० वि० स्योढ़ा
बिसवांँ (सीतापुर)
कहानी वाचक
नीलम भदौरिया
जनपद- फतेहपुर 

✏️संकलन
📝टीम मिशन शिक्षण संवाद
नैतिक प्रभात

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