102/2024, बाल कहानी-28 मई
बाल कहानी- सीख
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पिन्टू, राज, विनय और प्रेम चारों दोस्त थे। एक दिन गाँव में मेला लगा। यह चारों दोस्त मेला देखने गये। वहाँ जाकर सभी दोस्तों ने मिलकर भेलपुरी, चाट और आइसक्रीम खायी। इसके बाद उन सबने मिलकर झूला भी झूला और फिर सभी बच्चे पहुँचे खिलौने की दुकान पर। बाल मन खिलौने के बिना कहाँ मानने वाला? चारों दोस्तों में से पिन्टू बहुत चंचल था।
जब सभी दोस्त मिलकर खिलौने देख रहे थे, तब पिन्टू ने धीरे से उन खिलौने में से एक खिलौना नीचे गिरा दिया और बाद में वह खिलौना धीरे से उठाकर घर ले आया। घर आने पर पिन्टू के दोस्तों ने खिलौने वाली बात उसके पापा को बता दी। फिर क्या था? पिन्टू के पापा ने पिन्टू को खूब मारा। जब पिन्टू की मम्मी ने उसके रोने की आवाज सुनी तो वह दौड़ी-दौड़ी आयी और पिटाई का कारण पूछने लगी। तब पिन्टू के पापा ने पिन्टू द्वारा मेले से खिलौना चुराकर घर लाने की बात कही। तब पिंटू की मम्मी ने कहा-, "बच्चे को मारना किसी समस्या का समाधान नहीं है।" वह अपने बेटे को समझाने लगी कि-, "यदि खिलौना चुराते हुए दुकान वाला तुम्हें पकड़ लेता तो तुम्हें पुलिस पकड़कर जेल में बन्द कर देती और वहाँ तुम्हारी पिटाई डण्डों से होती। चोरी करना बहुत गलत बात है।" पुलिस की बात सुनते ही पिंटू डर गया और उसने ऐसा फिर कभी न करने के लिए कहा।
संस्कार सन्देश-
बच्चों! यह हमेशा रखना याद। चोरी करना होती बहुत ही गलत बात।।
लेखिका-
रचना तिवारी (स०अ०)
प्राथमिक विद्यालय ढिमरपुरा पुनावली (कलां) ब्लाक- बबीना, जिला- झाँसी (उ०प्र०)
कहानी वाचक
नीलम भदौरिया
जनपद- फतेहपुर
✏️संकलन
📝टीम मिशन शिक्षण संवाद
नैतिक प्रभात
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