उठो, जागो और सँभलो
आप शिक्षक हैं अपने
अस्तित्व को बचा लो।
कोई उठा न पाए उँगली आप पर,
ऐ समाज के पथ प्रदर्शक अपनी जमीं बचा लो।
नित नए आयाम रचकर,
बच्चों में उत्साह भरकर।
खेल-खेल में नवाचार में,
अपनी नाव चला लो।
मिला है दायित्व हमको,
हम शिक्षक हैं...
अपने ज्ञान से काँटों की राह में,
फूलों की सेज बिछा लो।
उठो जागो और सँभलो।
आप शिक्षक हैं, अपने अस्तित्व को बचा लो।
ज्ञान से विज्ञान से और संस्कार से।
भारत की इस नई पौध में,
चार चाँद लगा लो।
क्या मिला है क्या मिलेगा,
इज्जत मिली, सम्मान मिलेगा।
नन्हें-मुन्ने इन बच्चों को
विवेकानंद व कलाम सा बना लो।
उठो जागो और सँभलो।
आप शिक्षक हैं,अपने अस्तित्व को बचा लो।
मिशन के सिपाही,
मिशन के जवानों।
शिक्षक का खोया हुआ सम्मान
अब तुम ही बचा लो।
रचयिता
अनिल पाल,
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय भदखार,
विकास खण्ड-सहार,
जनपद-औरैया।
मोबाइल - 94126 59266
अस्तित्व को बचा लो।
कोई उठा न पाए उँगली आप पर,
ऐ समाज के पथ प्रदर्शक अपनी जमीं बचा लो।
नित नए आयाम रचकर,
बच्चों में उत्साह भरकर।
खेल-खेल में नवाचार में,
अपनी नाव चला लो।
मिला है दायित्व हमको,
हम शिक्षक हैं...
अपने ज्ञान से काँटों की राह में,
फूलों की सेज बिछा लो।
उठो जागो और सँभलो।
आप शिक्षक हैं, अपने अस्तित्व को बचा लो।
ज्ञान से विज्ञान से और संस्कार से।
भारत की इस नई पौध में,
चार चाँद लगा लो।
क्या मिला है क्या मिलेगा,
इज्जत मिली, सम्मान मिलेगा।
नन्हें-मुन्ने इन बच्चों को
विवेकानंद व कलाम सा बना लो।
उठो जागो और सँभलो।
आप शिक्षक हैं,अपने अस्तित्व को बचा लो।
मिशन के सिपाही,
मिशन के जवानों।
शिक्षक का खोया हुआ सम्मान
अब तुम ही बचा लो।
रचयिता
अनिल पाल,
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय भदखार,
विकास खण्ड-सहार,
जनपद-औरैया।
मोबाइल - 94126 59266
Comments
Post a Comment