हम बच्चे

हम बच्चे मस्ताने, हम बच्चे,
हम सच्चे दीवाने, हम बच्चे।

हम में ही हैं लाल बहादुर,
हम में ही हैं लाल जवाहर।

निकले सीना ताने, हम बच्चे,
हम बच्चे मस्ताने, हम बच्चे।

हम चलें तो बादल बरसे,
हम चलें तो सागर गरजे।

सारा जग सन्माने, हम बच्चे,
हम बच्चे मस्ताने, हम बच्चे।

भिक्षा है अपमान हमारा,
शिक्षा है अभिमान हमारा।

आओ! ये व्रत ठाने, हम बच्चे,
हम बच्चे मस्ताने, हम बच्चे।

सबकी प्रगति सभी की रक्षा,
आओ! अपनी करें सुरक्षा।

अपना बल पहचाने, हम बच्चे।
हम बच्चे मस्ताने, हम बच्चे।

रचयिता
डॉ0 प्रवीणा दीक्षित,
हिन्दी शिक्षिका,
के.जी.बी.वी. नगर क्षेत्र,
जनपद-कासगंज।

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