३७८~ डॉ० ललित कुमार (प्रधानाध्यापक) प्राथमिक विद्यालय खिजरपुर जोशीया, ब्लॉक-लोधा, जनपद- अलीगढ़, उत्तर प्रदेश
🏅अनमोल रत्न🏅
मित्रों आज हम आपका परिचय मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से जनपद- अलीगढ़ से अनमोल रत्न शिक्षक साथी भाई डॉ ललित कुमार जी से करा रहे हैं। जिन्होंने अपनी सकारात्मक सोच और समर्पित व्यवहार कुशलता से, न सिर्फ विद्यालय की दशा बदलने में सफलता प्राप्त की है बल्कि बेसिक शिक्षा के प्रति बदल चुकी समाज की नकारात्मक दिशा को भी सकारात्मक दिशा में बदलने की सफलता प्राप्त की है। जिससे अनेकों असम्भव बन चुके कार्यों को सम्भव बना दिया एवं आज विद्यालय विविध गतिविधियों और उपलब्धियों के साथ सामाजिक विश्वास का केन्द्र बन गया है। जो हम सभी के लिए गर्व और गौरव की बात है। ऐसे आदरणीय अनमोल रत्न शिक्षक साथी एवं सहयोगी विद्यालय परिवार को मिशन शिक्षण संवाद की ओर से उज्जवल भविष्य की कामनाओं के साथ बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ!
आइये देखते हैं आपके द्वारा किए गये कुछ प्रेरक और अनुकरणीय प्रयासों को:
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=2478654542412128&id=1598220847122173
👉1..शिक्षक का परिचय:-
डॉ० ललित कुमार (प्रधानाध्यापक) प्राथमिक विद्यालय खिजरपुर जोशीया, ब्लॉक-लोधा, जनपद- अलीगढ़, उत्तर प्रदेश.
नियुक्ति - 1999
👉2- विद्यालय की समस्याए:-
बात सन- 2007 की है जब मैंने उक्त विद्यालय को जॉइन किया। यह 29 सितम्बर- 2007 का दिन था। मतलब मेरी नियुक्ति का पहला दिन।
स्कूल का परिदृश्य ऐसा मानो कोई भूतहा हवेली हो। बड़ी- बड़ी घास और गहरे - गहरे गड्ढे। स्कूल के चारों ओर गाँव के घूरों ने अपना साम्राज्य फैला रखा था। मेरे मन और मस्तिष्क में स्कूल की एक आदर्श छवि बनी हुई थी। मैंने तो सोचा भी नहीं था कि इतनी बुरी हालत का विद्यालय मेरा कार्य क्षेत्र होगा। स्कूल को देखकर अपना "कवि" मन घोर निराश हुआ। उसी समय डायरी और पेन निकाला और अपने हृदय की वेदना को डायरी के पन्नों पर उकेर दिया, प्रस्तुत कर रहा हूँ आप सभी के समक्ष उन्ही पंक्तियों को: -
घर से चला मैं,
उमंग साथ - साथ थी।
स्वप्नों की दुनियाँ,
मेरे सिर पर सवार थी।
बागवां बनूंगा मैं,
विद्यालय रूपी बाग का।
महकाउँगा खुशबू इसकी,
ऐसी मुझे आस थी।
पर चूर हुए स्वप्न मेरे यह देख - देख कर,
बड़े - बड़े गड्ढों,
और कूडों के ढेर बीच,
स्कूल की इमारत खड़ी,
बेबस और लाचार सी।
पेड़ नहीं था एक कहीं,
फुलों की तो क्या बात थी?
चारागाह बना विद्यालय,
बाउंड्री भी थी नहीं।
प्रण मैंने तभी किया,
हार नहीं मानूँगा,
एक दिन इस विद्यालय को शिखर पर पहुँचाउंगा।।
विद्यालय में उस समय दो शिक्षा मित्र अध्यापिकाएं थीं, मैंने उनसे जब विद्यालय की इतनी खराब हालत के विषय में पूछा तो जवाब मिला कि "सर हमने तो बहुत प्रयास किया परंतु सफलता नहीं मिली, यहाँ सर कुछ भी नहीं हो सकता"।।
अब तो मेरा होंसला और भी बुलंद हो गया। फिर क्या था, लग गया काम में और साम, दाम, दण्ड, भेद चारों नीतियों का प्रयोग किया..
और आज प्रदेश स्तर पर मेरा विद्यालय अलीगढ़ का एक उत्कृष्ट विद्यालय के रूप में चयनित हो चुका है।
👉3- विद्यालय की समस्याएँ - एवं समाधान:-
विद्यालय की इतनी बुरी हालत उसकी समस्याओं के ही कारण थी। कुछ प्रमुख समस्याओं और उसके समाधान की चर्चा मैं यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ -
( A) विद्यालय में गड्ढों और कूड़े के ढेरों की समस्या एवं समाधान:- विद्यालय के प्रांगण में बड़े - बड़े गड्डे और कूड़े का साम्राज्य था। गड्ढों को भरवाना और कूड़े के ढेरों को हटवाना आसान काम नहीं था। मैंने सितंबर माह में जॉइनिंग की थी और अगला महीना अक्टूबर का था, बस फिर क्या था, 2 October गांधी जयंती के अवसर पर मैंने गाँव वासियों के साथ - साथ ग्राम प्रधान को भी आमंत्रित किया। कार्यक्रम के बीच में ही मैंने अपनी बात रखी। काफी जिरह और मशक्कत के बाद मैंने ग्राम प्रधान को विद्यालय के गहरे गड्डडों को भरवाकर समतलीकरण कराने के लिए राजी कर लिया। लेकिन वोट बैंक की बजह से ग्राम प्रधान ने कूड़े के ढेरों को हटवाने के लिए, कान में मुझसे मना कर दिया। मैं उनके मंतव्य को भली भांति समझ गया था। लेकिन मेरा आधा काम तो हो ही गया था।
दो दिन बाद ग्राम प्रधान ने चार मजदूर और कम से कम 50 ट्रॉली मिट्टी के द्वारा तीन दिन में विद्यालय में सामत्लीकरण का कार्य पूरा कराया।
यह मेरी पहली विजय थी।
(B) कूड़े के ढेरों को हटवाना:- उपरोक्त सफलता मिलने के बाद मेरा अगला टार्गेट था कूड़े के ढेर, इसमें मैने साम, दाम, दण्ड, भेद चारों नीतियों का पालन करते हुए किसी के हाथ जोड़कर तो किसी को DM साहब की धमकी दे कर तो किसी को स्वच्छता का हवाला देकर अंतत: अपना मकसद पूरा करा लिया। कहने का मतलब, जिस कार्य की करने में ग्राम प्रधान डर रहे थे, उसी कार्य को मैने बड़ी चतुराई से पूरा करा लिया।
यह मेरी दूसरी विजय थी।
(c) पानी की समस्या और समाधान:- विद्यालय में केवल एक नल था, उस पर भी समस्या यह कि गाँव वाले लगे रहते थे। केसे ही करके बच्चे अपने पानी पीने की व्यवस्था कर लेते थे, परंतु रोपित पोधों को सीचने की व्यवस्था नहीं हो पाती थी। उस समय विद्यालय में लाइट भी नहीं थी, नहीं तो समर सैट लगवा लेते। लेकिन कहते हैं कि आप जब कोई काम अपनी आत्मा से और सच्ची लगन से करते हैं तो इसमें सफलता अवश्य मिलती है। ईश्वर उसमें साथ देता है। वही कुछ मेरे साथ भी हुआ।
एक दिन स्कूल के पीछे रहने वाले पड़ोसी और स्कूल के सामने खेत वाले में झगड़ा हो रहा था। आवाज मेरे कान तक भी आ रही थी। उत्सुकता बस जानने की जिज्ञासा हुई कि मामला क्या है। जाकर देखा तो तो पता चला कि हमारे स्कूल के पड़ोसी के समर का पानी सामने दूसरे किसान के खेत में जाता था, जिससे उसका खेत खराब हो जाया करता था। जिससे उनमें आए दिन लड़ाई - झगड़ा होता रहता था, साथ ही साथ कच्ची सड़क पर दलदल भी हो जाता था। जिसमें बच्चे भी आये दिन गिरते रहते थे। बस, तभी मेरा दिमाग एक्टिव हो गया। मैंने उन्हें एक सुझाव दिया कि आप अपने समर के नहाने धोने के पानी को हमें दे दो. आप अपनी दीवाल में बस एक होल कर दो, आपका सारा बेकार पानी हमारे स्कूल में आ जाएगा। बात वहाँ उपस्थित अन्य लोगों को भी अच्छी लगी। इस प्रकार मेरे प्रयास से न केवल दो पड़ोसियों का झगड़ा समाप्त हुआ, बल्कि सड़क भी खराब होने से बच गई और पौधों के लिए पानी की मेरी समस्या का समाधान भी हो गया।
आज पूरा प्रांगण यदि हराभरा है तो सिर्फ और सिर्फ उसी पानी की वजह से है।
यह मेरी तीसरी सफलता थी।
4 - विद्यालय की प्रेरक शिक्षण गतिविधियाँ:-
(A) :- ब्लैक बोर्ड के स्थान पर ग्रीन बोर्ड की स्थापना।
(B) :- छात्र - छात्राओं को अतिरिक्त अध्ययन के लिए ओपन लाइब्रेरी की स्थापना की गई।
(D) :- कमरों की आंतरिक एंव बहारी दीवारों पर सुंदर और आकर्षक चित्रकारी।
(E) :- सुंदर और आकर्षक शौचालय का निर्माण कराया गया।
(F) :- स्वच्छ भारत मिशन के तहत बंद ढक्कन वाले डस्टबिन का प्रयोग।
(G) :- वर्ष 2008 से ही MDM के के लिए पूर्ण बर्तनों की व्यवस्था।
(H) :- मासिक टेस्ट व्यवस्था।
(I) :- प्रार्थना प्रतिदिन माइक से कराना।
(J) :- सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए एक बड़ी स्टेज का निर्माण कराया गया है।
(K) :- टोकन सिस्टम से बच्चों को क्लास रूम से बाहर भेजना।
(L) :- समर होम वर्क के लिए एक "book let "प्रिंट करा कर छात्रों को दी जाती है।
(M) :- सबसे बड़ी
पहल और उपलब्धि:-
इस विद्यालय के शिक्षा मित्र और पूर्व प्रधानाध्यापक और अध्यापक गण जहाँ गाँव के ग्राम वासियों से कुछ भी नहीं करा पाये, जैसा कि मैंने पहले वर्णन किया है, वहीं मैंने अपने और ग्राम वासियों के सहयोग से, अपने विद्यालय में अलीगढ़ में पहली digital class की स्थापना की है।
इसे मैं अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि मानता हूँ।
👉5- विद्यालय और बच्चों की उपलब्धि:-
मेरी नियुक्ति के समय मात्र 27 छात्र विद्यालय में थे जबकि वर्तमान में नामांकन 72 छात्र है। जबकि गाँव की कुल आबादी 370 है।
आज विद्यालय से क्लास पाँच उत्तीर्ण कर अधिकांश बच्चे इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ने जाते हैं और अनेक बच्चे उच्च शिक्षा ग्रहण कर समाज को अपनी सेवाएँ दे रहे हैं।
विद्यालय के उत्कृष्ट कार्यों की बजह से मेरे विद्यालय को राज्य स्तर पर उत्कृष्ट विद्यालय की श्रेणी में रखा गया है।
👉6 - शिक्षक और विद्यालय की उपलब्धियां:-
*वर्ष 2014 में ब्लॉक का आदर्श टीचर चुना गया।
*वर्ष 2015 ग्राम प्रधान एंव ग्राम वसियों द्वारा सम्मानित किया गया।
*वर्ष 2017 में रोटरी क्लब अलीगढ़ द्वारा सम्मानित किया गया।
*वर्ष 2018 में इनर व्हील द्वारा सम्मानित किया गया।
*वर्ष 2018 में ही ए.डी. बेसिक अलीगढ़ द्वारा सम्मानित किया गया।
*वर्ष 2019 में दैनिक जागरण और समृद्धि टाउनशिप द्वारा सम्मानित किया गया।
*वर्ष 2019 में ही DM. सर अलीगढ़ एवं BSA सर अलीगढ़ द्वारा उत्कृष्ट कार्यों के लिए सम्मानित किया गया।
*वर्ष 2019 में ही उत्कृष्ट कार्यों के लिए scert द्वारा राज्य स्तरीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
*वर्ष 2019 में ही रोटरी क्लब aura द्वारा सम्मानित किया गया।
👉7 - मिशन शिक्षण संवाद के लिए सन्देश:-
मिशन शिक्षण संवाद शैक्षिक उन्नयन के हवन में शिक्षक संवाद की जो आहुति दे रहे हैं, वो अद्भुत है, अद्वितीय है, अकाल्पनीय है।
आज समस्त शिक्षक समाज किसी न किसी रूप में आपके मिशन से लाभान्वित हो रहा है। आप इसी प्रकार से इस श्रृंखला को आगे और आगे बढ़ाते रहें। आपके इस पुनीत कार्य के लिए कोटि कोटि प्रणाम।
👉8 - शिक्षक समाज के लिए सुझाव:-
निश्चित रूप से आज शिक्षक गण विषम परिस्थितियों में अपना कार्य कर रहे हैं. उनको सुझाब की नहीं हिम्मत की आवश्यकता है।
और इस संबंध में, मैं अपने साथियों से बस यही कहना चाहता हूं कि आप जो भी कार्य करें, अपने मन से करें।
संकलन एवं सहयोग
यतेन्द्र सिंघल
मिशन शिक्षण संवाद अलीगढ़
नोट: मिशन शिक्षण संवाद परिवार में शामिल होने एवं अपना, अपने जनपद अथवा राज्य के आदर्श विद्यालयों का अनमोल रत्न में विवरण भेजने तथा मिशन शिक्षण संवाद से सम्बंधित शिकायत, सहयोग, सुझाव और विचार को मिशन शिक्षण संवाद के जनपद एडमिन अथवा राज्य प्रभारी अथवा 9458278429 अथवा 7017626809 और ई-मेल shikshansamvad@gmail.com पर भेज सकते हैं।
विमल कुमार
टीम मिशन शिक्षण संवाद
10-11-2019
मित्रों आज हम आपका परिचय मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से जनपद- अलीगढ़ से अनमोल रत्न शिक्षक साथी भाई डॉ ललित कुमार जी से करा रहे हैं। जिन्होंने अपनी सकारात्मक सोच और समर्पित व्यवहार कुशलता से, न सिर्फ विद्यालय की दशा बदलने में सफलता प्राप्त की है बल्कि बेसिक शिक्षा के प्रति बदल चुकी समाज की नकारात्मक दिशा को भी सकारात्मक दिशा में बदलने की सफलता प्राप्त की है। जिससे अनेकों असम्भव बन चुके कार्यों को सम्भव बना दिया एवं आज विद्यालय विविध गतिविधियों और उपलब्धियों के साथ सामाजिक विश्वास का केन्द्र बन गया है। जो हम सभी के लिए गर्व और गौरव की बात है। ऐसे आदरणीय अनमोल रत्न शिक्षक साथी एवं सहयोगी विद्यालय परिवार को मिशन शिक्षण संवाद की ओर से उज्जवल भविष्य की कामनाओं के साथ बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ!
आइये देखते हैं आपके द्वारा किए गये कुछ प्रेरक और अनुकरणीय प्रयासों को:
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=2478654542412128&id=1598220847122173
👉1..शिक्षक का परिचय:-
डॉ० ललित कुमार (प्रधानाध्यापक) प्राथमिक विद्यालय खिजरपुर जोशीया, ब्लॉक-लोधा, जनपद- अलीगढ़, उत्तर प्रदेश.
नियुक्ति - 1999
👉2- विद्यालय की समस्याए:-
बात सन- 2007 की है जब मैंने उक्त विद्यालय को जॉइन किया। यह 29 सितम्बर- 2007 का दिन था। मतलब मेरी नियुक्ति का पहला दिन।
स्कूल का परिदृश्य ऐसा मानो कोई भूतहा हवेली हो। बड़ी- बड़ी घास और गहरे - गहरे गड्ढे। स्कूल के चारों ओर गाँव के घूरों ने अपना साम्राज्य फैला रखा था। मेरे मन और मस्तिष्क में स्कूल की एक आदर्श छवि बनी हुई थी। मैंने तो सोचा भी नहीं था कि इतनी बुरी हालत का विद्यालय मेरा कार्य क्षेत्र होगा। स्कूल को देखकर अपना "कवि" मन घोर निराश हुआ। उसी समय डायरी और पेन निकाला और अपने हृदय की वेदना को डायरी के पन्नों पर उकेर दिया, प्रस्तुत कर रहा हूँ आप सभी के समक्ष उन्ही पंक्तियों को: -
घर से चला मैं,
उमंग साथ - साथ थी।
स्वप्नों की दुनियाँ,
मेरे सिर पर सवार थी।
बागवां बनूंगा मैं,
विद्यालय रूपी बाग का।
महकाउँगा खुशबू इसकी,
ऐसी मुझे आस थी।
पर चूर हुए स्वप्न मेरे यह देख - देख कर,
बड़े - बड़े गड्ढों,
और कूडों के ढेर बीच,
स्कूल की इमारत खड़ी,
बेबस और लाचार सी।
पेड़ नहीं था एक कहीं,
फुलों की तो क्या बात थी?
चारागाह बना विद्यालय,
बाउंड्री भी थी नहीं।
प्रण मैंने तभी किया,
हार नहीं मानूँगा,
एक दिन इस विद्यालय को शिखर पर पहुँचाउंगा।।
विद्यालय में उस समय दो शिक्षा मित्र अध्यापिकाएं थीं, मैंने उनसे जब विद्यालय की इतनी खराब हालत के विषय में पूछा तो जवाब मिला कि "सर हमने तो बहुत प्रयास किया परंतु सफलता नहीं मिली, यहाँ सर कुछ भी नहीं हो सकता"।।
अब तो मेरा होंसला और भी बुलंद हो गया। फिर क्या था, लग गया काम में और साम, दाम, दण्ड, भेद चारों नीतियों का प्रयोग किया..
और आज प्रदेश स्तर पर मेरा विद्यालय अलीगढ़ का एक उत्कृष्ट विद्यालय के रूप में चयनित हो चुका है।
👉3- विद्यालय की समस्याएँ - एवं समाधान:-
विद्यालय की इतनी बुरी हालत उसकी समस्याओं के ही कारण थी। कुछ प्रमुख समस्याओं और उसके समाधान की चर्चा मैं यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ -
( A) विद्यालय में गड्ढों और कूड़े के ढेरों की समस्या एवं समाधान:- विद्यालय के प्रांगण में बड़े - बड़े गड्डे और कूड़े का साम्राज्य था। गड्ढों को भरवाना और कूड़े के ढेरों को हटवाना आसान काम नहीं था। मैंने सितंबर माह में जॉइनिंग की थी और अगला महीना अक्टूबर का था, बस फिर क्या था, 2 October गांधी जयंती के अवसर पर मैंने गाँव वासियों के साथ - साथ ग्राम प्रधान को भी आमंत्रित किया। कार्यक्रम के बीच में ही मैंने अपनी बात रखी। काफी जिरह और मशक्कत के बाद मैंने ग्राम प्रधान को विद्यालय के गहरे गड्डडों को भरवाकर समतलीकरण कराने के लिए राजी कर लिया। लेकिन वोट बैंक की बजह से ग्राम प्रधान ने कूड़े के ढेरों को हटवाने के लिए, कान में मुझसे मना कर दिया। मैं उनके मंतव्य को भली भांति समझ गया था। लेकिन मेरा आधा काम तो हो ही गया था।
दो दिन बाद ग्राम प्रधान ने चार मजदूर और कम से कम 50 ट्रॉली मिट्टी के द्वारा तीन दिन में विद्यालय में सामत्लीकरण का कार्य पूरा कराया।
यह मेरी पहली विजय थी।
(B) कूड़े के ढेरों को हटवाना:- उपरोक्त सफलता मिलने के बाद मेरा अगला टार्गेट था कूड़े के ढेर, इसमें मैने साम, दाम, दण्ड, भेद चारों नीतियों का पालन करते हुए किसी के हाथ जोड़कर तो किसी को DM साहब की धमकी दे कर तो किसी को स्वच्छता का हवाला देकर अंतत: अपना मकसद पूरा करा लिया। कहने का मतलब, जिस कार्य की करने में ग्राम प्रधान डर रहे थे, उसी कार्य को मैने बड़ी चतुराई से पूरा करा लिया।
यह मेरी दूसरी विजय थी।
(c) पानी की समस्या और समाधान:- विद्यालय में केवल एक नल था, उस पर भी समस्या यह कि गाँव वाले लगे रहते थे। केसे ही करके बच्चे अपने पानी पीने की व्यवस्था कर लेते थे, परंतु रोपित पोधों को सीचने की व्यवस्था नहीं हो पाती थी। उस समय विद्यालय में लाइट भी नहीं थी, नहीं तो समर सैट लगवा लेते। लेकिन कहते हैं कि आप जब कोई काम अपनी आत्मा से और सच्ची लगन से करते हैं तो इसमें सफलता अवश्य मिलती है। ईश्वर उसमें साथ देता है। वही कुछ मेरे साथ भी हुआ।
एक दिन स्कूल के पीछे रहने वाले पड़ोसी और स्कूल के सामने खेत वाले में झगड़ा हो रहा था। आवाज मेरे कान तक भी आ रही थी। उत्सुकता बस जानने की जिज्ञासा हुई कि मामला क्या है। जाकर देखा तो तो पता चला कि हमारे स्कूल के पड़ोसी के समर का पानी सामने दूसरे किसान के खेत में जाता था, जिससे उसका खेत खराब हो जाया करता था। जिससे उनमें आए दिन लड़ाई - झगड़ा होता रहता था, साथ ही साथ कच्ची सड़क पर दलदल भी हो जाता था। जिसमें बच्चे भी आये दिन गिरते रहते थे। बस, तभी मेरा दिमाग एक्टिव हो गया। मैंने उन्हें एक सुझाव दिया कि आप अपने समर के नहाने धोने के पानी को हमें दे दो. आप अपनी दीवाल में बस एक होल कर दो, आपका सारा बेकार पानी हमारे स्कूल में आ जाएगा। बात वहाँ उपस्थित अन्य लोगों को भी अच्छी लगी। इस प्रकार मेरे प्रयास से न केवल दो पड़ोसियों का झगड़ा समाप्त हुआ, बल्कि सड़क भी खराब होने से बच गई और पौधों के लिए पानी की मेरी समस्या का समाधान भी हो गया।
आज पूरा प्रांगण यदि हराभरा है तो सिर्फ और सिर्फ उसी पानी की वजह से है।
यह मेरी तीसरी सफलता थी।
4 - विद्यालय की प्रेरक शिक्षण गतिविधियाँ:-
(A) :- ब्लैक बोर्ड के स्थान पर ग्रीन बोर्ड की स्थापना।
(B) :- छात्र - छात्राओं को अतिरिक्त अध्ययन के लिए ओपन लाइब्रेरी की स्थापना की गई।
(D) :- कमरों की आंतरिक एंव बहारी दीवारों पर सुंदर और आकर्षक चित्रकारी।
(E) :- सुंदर और आकर्षक शौचालय का निर्माण कराया गया।
(F) :- स्वच्छ भारत मिशन के तहत बंद ढक्कन वाले डस्टबिन का प्रयोग।
(G) :- वर्ष 2008 से ही MDM के के लिए पूर्ण बर्तनों की व्यवस्था।
(H) :- मासिक टेस्ट व्यवस्था।
(I) :- प्रार्थना प्रतिदिन माइक से कराना।
(J) :- सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए एक बड़ी स्टेज का निर्माण कराया गया है।
(K) :- टोकन सिस्टम से बच्चों को क्लास रूम से बाहर भेजना।
(L) :- समर होम वर्क के लिए एक "book let "प्रिंट करा कर छात्रों को दी जाती है।
(M) :- सबसे बड़ी
पहल और उपलब्धि:-
इस विद्यालय के शिक्षा मित्र और पूर्व प्रधानाध्यापक और अध्यापक गण जहाँ गाँव के ग्राम वासियों से कुछ भी नहीं करा पाये, जैसा कि मैंने पहले वर्णन किया है, वहीं मैंने अपने और ग्राम वासियों के सहयोग से, अपने विद्यालय में अलीगढ़ में पहली digital class की स्थापना की है।
इसे मैं अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि मानता हूँ।
👉5- विद्यालय और बच्चों की उपलब्धि:-
मेरी नियुक्ति के समय मात्र 27 छात्र विद्यालय में थे जबकि वर्तमान में नामांकन 72 छात्र है। जबकि गाँव की कुल आबादी 370 है।
आज विद्यालय से क्लास पाँच उत्तीर्ण कर अधिकांश बच्चे इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ने जाते हैं और अनेक बच्चे उच्च शिक्षा ग्रहण कर समाज को अपनी सेवाएँ दे रहे हैं।
विद्यालय के उत्कृष्ट कार्यों की बजह से मेरे विद्यालय को राज्य स्तर पर उत्कृष्ट विद्यालय की श्रेणी में रखा गया है।
👉6 - शिक्षक और विद्यालय की उपलब्धियां:-
*वर्ष 2014 में ब्लॉक का आदर्श टीचर चुना गया।
*वर्ष 2015 ग्राम प्रधान एंव ग्राम वसियों द्वारा सम्मानित किया गया।
*वर्ष 2017 में रोटरी क्लब अलीगढ़ द्वारा सम्मानित किया गया।
*वर्ष 2018 में इनर व्हील द्वारा सम्मानित किया गया।
*वर्ष 2018 में ही ए.डी. बेसिक अलीगढ़ द्वारा सम्मानित किया गया।
*वर्ष 2019 में दैनिक जागरण और समृद्धि टाउनशिप द्वारा सम्मानित किया गया।
*वर्ष 2019 में ही DM. सर अलीगढ़ एवं BSA सर अलीगढ़ द्वारा उत्कृष्ट कार्यों के लिए सम्मानित किया गया।
*वर्ष 2019 में ही उत्कृष्ट कार्यों के लिए scert द्वारा राज्य स्तरीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
*वर्ष 2019 में ही रोटरी क्लब aura द्वारा सम्मानित किया गया।
👉7 - मिशन शिक्षण संवाद के लिए सन्देश:-
मिशन शिक्षण संवाद शैक्षिक उन्नयन के हवन में शिक्षक संवाद की जो आहुति दे रहे हैं, वो अद्भुत है, अद्वितीय है, अकाल्पनीय है।
आज समस्त शिक्षक समाज किसी न किसी रूप में आपके मिशन से लाभान्वित हो रहा है। आप इसी प्रकार से इस श्रृंखला को आगे और आगे बढ़ाते रहें। आपके इस पुनीत कार्य के लिए कोटि कोटि प्रणाम।
👉8 - शिक्षक समाज के लिए सुझाव:-
निश्चित रूप से आज शिक्षक गण विषम परिस्थितियों में अपना कार्य कर रहे हैं. उनको सुझाब की नहीं हिम्मत की आवश्यकता है।
और इस संबंध में, मैं अपने साथियों से बस यही कहना चाहता हूं कि आप जो भी कार्य करें, अपने मन से करें।
संकलन एवं सहयोग
यतेन्द्र सिंघल
मिशन शिक्षण संवाद अलीगढ़
नोट: मिशन शिक्षण संवाद परिवार में शामिल होने एवं अपना, अपने जनपद अथवा राज्य के आदर्श विद्यालयों का अनमोल रत्न में विवरण भेजने तथा मिशन शिक्षण संवाद से सम्बंधित शिकायत, सहयोग, सुझाव और विचार को मिशन शिक्षण संवाद के जनपद एडमिन अथवा राज्य प्रभारी अथवा 9458278429 अथवा 7017626809 और ई-मेल shikshansamvad@gmail.com पर भेज सकते हैं।
विमल कुमार
टीम मिशन शिक्षण संवाद
10-11-2019
Comments
Post a Comment