संविधान दिवस

मनुष्यता के मान का,
मनुष्य के सम्मान का।
लोक के कल्याण का,
समाज के उत्थान का।

समानता सिद्धांत का,
एकात्म के वेदांत का।
विधान के संज्ञान का,
विधान के अभिमान का।

मनुष्य के विकास का,
मनुष्य के विश्वास का,
मनुष्य के अधिकार का,
समत्व के  विचार का।

अधिकार की आस है,
लोक का विश्वास है।
विधान का विचार है
विधान का भी सार है।

स्वराज के सुराज का,
पिछड़े हुए समाज का।
समत्व के हर तत्व का,
निजत्व के निज स्वत्व का।

निर्देश जिसमें विद्यमान है,
नीति का हर  प्रतिमान है।
जनतंत्र का हर विधान है,
वह भारतीय संविधान है।

सम्मान हो विधान का,
भाव नवल विहान का।
हमें गर्व की अनुभूति हो।
संविधान से प्रीति हो।

राष्ट्रीयता की शान हो,
भारतीयता पहचान हो।
एकता का अब विचार हो।
मनुष्यता ही सार हो।

रचयिता
सतीश चन्द्र "कौशिक"
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय अकबापुर,
विकास क्षेत्र-पहला, 
जनपद -सीतापुर।

Comments

  1. अतीव सुंदर वाहहह वाहहह

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  2. बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति सर👌👌👌

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