बच्चे सुघड़ खिलौने होते हैं
कितने सुन्दर कितने प्यारे,
मधुर सलौने होते हैं।
बच्चे तो हम सब के प्यारे,
सुघड़ खिलौने होते हैं।।
कितने अच्छे लगते उनके,
मधुर तोतले बोल हैं।
उनका कोई मोल न जानो,
वो तो बस अनमोल हैं।।
उनकी दुनिया उनके सपने,
बहुत अनोखे होते हैं।
बच्चे तो हम सब के प्यारे,
सुघड़ खिलौने होते हैं।।
कभी रूठते कभी मनाते,
उनके मन तो निश्छल हैं।
शांत चित्त वो कभी न होते,
उनके तन तो चंचल हैं।।
कितने भावुक कितने कोमल,
हृदय के कोने होते हैं।
बच्चे तो हम सब के प्यारे,
सुघड़ खिलौने होते हैं।।
उनकी रक्षा का अब तो,
संकट बहुत ही गहरा है।
कुछ गंदे लोगों का उन पर,
रहता हर दम पहरा है।।
बच्चों की मुस्कान जो छीने,
लोग घिनौने होते हैं।
बच्चे तो हम सब के प्यारे,
सुघड़ खिलौने होते हैं।।
अच्छे और बुरे लोगों का,
अंतर उनको समझाओ।
अच्छे और बुरे स्पर्श का,
ज्ञान भी उनको दिलवाओ।।
अगर समय पर ना चेते तो,
नयन भिगोने होते हैं।
बच्चे तो हम सब के प्यारे,
सुघड़ खिलौने होते हैं।।
रचयिता
प्रदीप कुमार चौहान,
प्रधानाध्यापक,
मॉडल प्राइमरी स्कूल कलाई,
विकास खण्ड-धनीपुर,
जनपद-अलीगढ़।
मधुर सलौने होते हैं।
बच्चे तो हम सब के प्यारे,
सुघड़ खिलौने होते हैं।।
कितने अच्छे लगते उनके,
मधुर तोतले बोल हैं।
उनका कोई मोल न जानो,
वो तो बस अनमोल हैं।।
उनकी दुनिया उनके सपने,
बहुत अनोखे होते हैं।
बच्चे तो हम सब के प्यारे,
सुघड़ खिलौने होते हैं।।
कभी रूठते कभी मनाते,
उनके मन तो निश्छल हैं।
शांत चित्त वो कभी न होते,
उनके तन तो चंचल हैं।।
कितने भावुक कितने कोमल,
हृदय के कोने होते हैं।
बच्चे तो हम सब के प्यारे,
सुघड़ खिलौने होते हैं।।
उनकी रक्षा का अब तो,
संकट बहुत ही गहरा है।
कुछ गंदे लोगों का उन पर,
रहता हर दम पहरा है।।
बच्चों की मुस्कान जो छीने,
लोग घिनौने होते हैं।
बच्चे तो हम सब के प्यारे,
सुघड़ खिलौने होते हैं।।
अच्छे और बुरे लोगों का,
अंतर उनको समझाओ।
अच्छे और बुरे स्पर्श का,
ज्ञान भी उनको दिलवाओ।।
अगर समय पर ना चेते तो,
नयन भिगोने होते हैं।
बच्चे तो हम सब के प्यारे,
सुघड़ खिलौने होते हैं।।
रचयिता
प्रदीप कुमार चौहान,
प्रधानाध्यापक,
मॉडल प्राइमरी स्कूल कलाई,
विकास खण्ड-धनीपुर,
जनपद-अलीगढ़।
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