जीवन और खुशी

जीवन एक बहती नदी सा है। यह हम पर निर्भर करता है कि हम इस नदी के साथ कैसे सामंजस्य बिठाते हैं। अगर हमने इस नदी में तैरना सीख लिया तो जीवन का यह सफर आनंद और खुशी के साथ बीतेगा। लेकिन अगर हमने नदी के बहाव के साथ सामंजस्य नहीं बिठाया तो हम असंतुष्टि और निराशा इत्यादि विकारों से घिरते चले जाएँगे और जीवन बोझ सा लगने लगेगा और ख़ुशियाँ हम से कोसों दूर चली जाएँगी। जिस प्रकार किसी भी गाड़ी को चलाने से पहले गाड़ी को समझना जरूरी है। उसी प्रकार जीवन जीने के लिए जिंदगी के कुछ पहलुओं को समझना जरूरी है। दुनिया में बहुत कम ही लोग हैं जो अपनी जिंदगी में संतुष्ट और खुश हैं। ज्यादातर लोगों के जीवन से खुशी ग़ायब हो चुकी है। अलग-अलग लोगों के लिए खुश होने की परिभाषा भी अलग है। कुछ लोग मानते हैं कि खुशी पैसे से पायी जाती है। कुछ लोग प्यार में होते हैं तो खुशी महसूस करते हैं, कुछ लोग अपनी व्यक्तिगत तरक्की में ही खुशी समझते हैं अर्थात हर व्यक्ति के लिए खुशी की परिभाषा अलग-अलग है। हर इंसान ख़ुशियों के पीछे भाग रहा है परंतु अगर वह ध्यान से देखे तो ख़ुशियाँ उसके पास ही हैं। मनुष्य की ख़ुशियों के दो दुश्मन हैं, अंसतोष और ख़ालीपन। आज हर इंसान अपनी जिंदगी की खुशी के लिए जी रहा है उसे कोई मतलब नहीं है दूसरा खुश है या नहीं। आज का मनुष्य एक पागल व्यक्ति की भाँति बस अपनी ख़ुशियों को लेकर खोया हुआ है। जबकि जीवन में ख़ुशियाँ लाने का मूल मंत्र है दूसरों की खुशी में ही खुश होना। किसी भी व्यक्ति के पास चाहे कितना ही धन संपदा  हो जाए लेकिन अगर घर परिवार न हो तो जिंदगी बेकार है। खुशी वह है जिसे केवल महसूस किया जा सकता है अच्छा जीवन जीने के लिए खुश रहना बेहद जरूरी है। 

अगर हम किसी काम को खुश होकर करते हैं तो हमें सफलता अवश्य मिलती है। हम जीवन जीने की कला को अच्छे से समझ लें तो हमारा जीवन ख़ुशियों से भर सकता है और हम दूसरे से ख़ुशियाँ बाँट सकते हैं। परिस्थितियाँ चाहे जैसी भी हो हमें अति उत्साही या उदास होने की बजाय शांत और संतुष्ट होना चाहिए।

हमें अपने आसपास की हर चीज को अपने नियंत्रण में करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए क्योंकि हम सब कुछ ठीक नहीं कर सकते ना ही यह हमारे बस में है। जो जैसा है हमें उसे वैसे ही स्वीकार करना चाहिए।
हमें वर्तमान में रहना सीखना चाहिए। अपनी पिछली गलतियों के बारे में सोचना बंद कर देना चाहिए। गलतियाँ सबसे होती हैं। कोई भी इंसान हर क्षेत्र में पूरी तरह कुशल नहीं होता है। अपने आप को दोष देने की बजाय गलतियों से सीख लेकर वर्तमान को बेहतर बनाना चाहिए।
जीवन के अच्छे लम्हों को हाथ से ना जाने दें उन्हें जी भर के जीना चाहिए। कल की चिंता में अपना आज नहीं खराब करना चाहिए। जीवन में मिले वह लम्हें जिससे हमें खुशी मिलती है और जिनकी वजह से मिलती है उसके लिए सदा ईश्वर का आभारी रहना चाहिए।
हमें अपने माँ-बाप का सम्मान करना चाहिए क्योंकि अगर वह न होते तो हम इस दुनिया में नहीं आते। हमें अपने आसपास के हर रिश्ते के साथ वफ़ादारी करनी चाहिए। झूठ की बुनियाद पर बने रिश्ते हमें सुख नहीं दे सकते।
अपनी सोच को सकारात्मक दिशा दें सकारात्मक विचार और सकारात्मक जीवन सकारात्मक चीजों को आकर्षित करते हैं और नकारात्मक विचार नकारात्मक अनुभव का एहसास कराते हैं। इसलिए खुशी को अनुभव करने का एकमात्र तरीका है कि आप अपने आसपास सभी के बारे में अच्छा सोचें। खुशी कोई वस्तु नहीं है जो हम बाजार से ख़रीद लें यह वह एहसास है जिसे हमें जीना आना चाहिए।

संकलन
माया सिंह,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय जलालपुर,
विकास खण्ड-चहनियाँ,
जनपद-चंदौली। 

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