माँ मुझे स्कूल है भाता
माँ मुझे स्कूल है भाता,
इससे है मेरा गहरा नाता।
बस्ता दे दो, दे दो कलम,
कॉपी दे दो, दे दो किताब।
स्कूल जाने को मन है बेताब।
तोड़ दो आज हाथों की जंजीर,
और तोड़ दो पैरों की बेड़ियाँ।
नीच दृष्टि डाले न कोई भेड़िया।
बदल दो मेरी भी तक़दीर,
बदल जाये समाज की तस्वीर।
मुझे बना दो तुम बलवीर।
पढूँ-लिखूँ और बनूँ महान,
बेटी पर हो तुझे अभिमान।
समाज में हो मेरी पहचान।
माँ मुझे स्कूल है भाता,
इससे है मेरा गहरा नाता।
रचयिता
श्रीमती निर्मला आर्या,
राजकीय जूनियर हाईस्कूल मन्यूड़ा,
विकास खण्ड-गरुड़,
इससे है मेरा गहरा नाता।
बस्ता दे दो, दे दो कलम,
कॉपी दे दो, दे दो किताब।
स्कूल जाने को मन है बेताब।
तोड़ दो आज हाथों की जंजीर,
और तोड़ दो पैरों की बेड़ियाँ।
नीच दृष्टि डाले न कोई भेड़िया।
बदल दो मेरी भी तक़दीर,
बदल जाये समाज की तस्वीर।
मुझे बना दो तुम बलवीर।
पढूँ-लिखूँ और बनूँ महान,
बेटी पर हो तुझे अभिमान।
समाज में हो मेरी पहचान।
माँ मुझे स्कूल है भाता,
इससे है मेरा गहरा नाता।
रचयिता
श्रीमती निर्मला आर्या,
राजकीय जूनियर हाईस्कूल मन्यूड़ा,
विकास खण्ड-गरुड़,
सुन्दर शब्द संयोजन
ReplyDelete